कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को मुर्शिदाबाद हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जांच से कराने की भाजपा की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह पीठ के समक्ष पेश की गई सामग्री से संतुष्ट नहीं है. हालांकि, अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर एनआईए जांच का आदेश दे सकती है, यदि उसे लगता है कि स्थिति इसकी मांग करती है.
पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले और बांग्लादेश की सीमा से लगे उत्तर 24 परगना जिले में वक्फ अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में कम से कम 3 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. तृणमूल कांग्रेस द्वारा आरोप लगाया गया है कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने हिंसा फैलाने के लिए घुसपैठियों को राज्य में घुसने दिया है, जबकि भाजपा लगातार ममता बनर्जी सरकार पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा रही है.
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एनआईए जांच पर केंद्र सरकार खुर करे फैसला: HC
अदालत ने बीजेपी की याचिका खारिज करते हुए कहा, 'इस स्तर पर एनआईए जांच का आदेश देने की मांग पर विचार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि हमारे समक्ष कोई पर्याप्त सामग्री नहीं पेश की गई है.' कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा, 'सरकार को धारा 6(5) के तहत स्वतः संज्ञान लेकर एनआईए जांच का निर्देश देने का अधिकार है, यदि उसकी राय में ऐसे अपराध किए गए हैं, जिनकी एनआईए अधिनियम, 2008 के तहत जांच किए जाने की आवश्यकता है.'
सुवेंदु अधिकारी ने की थी हिंसा की NIA जांच की मांग
उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार ने मामले के इस पहलू पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. यदि स्थिति की मांग हो तो हमारा ऑब्जर्वेशन केंद्र सरकार द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अपनी शक्ति का प्रयोग करने के मार्ग में बाधा नहीं बनेगा.' 12 अप्रैल को बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर क्षेत्र में रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ की कई घटनाओं के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच की मांग की थी.
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कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में: बंगाल सरकार
इधर पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति अब पूरी तरह नियंत्रण में है. जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की पीठ राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बम विस्फोट हुए थे.
मुर्शिदाबाद में केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां तैनात हैं
राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में यह भी कहा कि जिले में हिंसा को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन की ओर से पर्याप्त कदम उठाए गए हैं. केंद्र की ओर से पेश वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की तैनाती को जिले की जमीनी स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए कुछ समय के लिए और बढ़ा दिया जाए. मुर्शिदाबाद के हिंसाग्रस्त सुती, समसेरगंज-धुलियान इलाकों में फिलहाल केंद्रीय बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात हैं.