कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल अक्सर भारत के चुनाव आयोग (ECI) पर सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन आजतक को मिले अहम डॉक्यूमेंट्स से खुलासा हुआ है कि चुनाव आयोग की ओर से बैठक के लिए भेजे गए ईमेल्स का विपक्ष समय पर जवाब नहीं देता.
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक 30 जून 2025 को कांग्रेस की कानूनी टीम ने चुनाव आयोग को एक ईमेल भेजा था, जिसमें 2 जुलाई को एक आपात बैठक की मांग की गई थी. उनका दावा था कि वे कई विपक्षी दलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और बिहार में हो रही विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर चिंतित हैं.
चुनाव आयोग ने इस बैठक की पुष्टि के लिए संबंधित राजनीतिक दलों से संपर्क किया, लेकिन किसी भी पार्टी की ओर से जवाब नहीं मिला. सिर्फ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने आज शाम 5 बजे मुलाकात का प्रस्ताव स्वीकार किया है. लिहाजा आज शाम 5 बजे चुनाव आयोग भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के प्रतिनिधियों और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के अधिकृत प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग कर इस मुद्दे पर आपत्तियों और सुझावों के साथ चर्चा करेगा.
चुनाव आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अन्य किसी भी राजनीतिक दल के अध्यक्ष ने बिहार से संबंधित विशेष गहन पुनरीक्षण के मुद्दे पर होने वाली बैठक में अपनी उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है. ECI सूत्रों के अनुसार राजनीतिक दल चुनाव आयोग की ईमेल का जवाब नहीं दे रहे हैं.
कांग्रेस और RJD ने नहीं दिया जवाब
आजतक के पास मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष को 30 जून को शाम 5 बजे एक औपचारिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा था, यह मेल कांग्रेस के आधिकारिक ईमेल पते पर भेजा गया, लेकिन किसी प्रकार की पुष्टि नहीं मिली. इसी तरह RJD (राष्ट्रीय जनता दल) को भी 30 जून की शाम 5 बजे के कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया. यह मेल तेजस्वी यादव समेत RJD के दोनों आधिकारिक ईमेल आईडी पर भेजा गया, लेकिन आयोग को वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला.
बिहार वोटर लिस्ट संशोधन बना सियासी मुद्दा
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट में विशेष संशोधन प्रक्रिया (SIR) को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस, RJD और वाम दलों समेत INDIA गठबंधन ने इस प्रक्रिया को पक्षपाती और संदिग्ध बताया है. 27 जून को हुई एक जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव (RJD), पवन खेड़ा (कांग्रेस) और दीपांकर भट्टाचार्य (CPI-ML) ने कहा था कि बिहार के मानसून के दौरान जब बाढ़ आम है, तब 8 करोड़ वोटरों की जांच करना अव्यवहारिक है.
इन नेताओं ने इस बात पर भी आपत्ति जताई थी कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता की जानकारी मांगी जा रही है, जो गरीब और ग्रामीण लोगों के पास नहीं होती. कांग्रेस ने इसे मतदान अधिकारों की डकैती और एक गैर-सरकारी NRC करार दिया है.