बिहार में मतदाता सूची संशोधन की प्रक्रिया को लेकर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने सभी मतदाताओं और राजनीतिक दलों को स्पष्ट जानकारी दी है कि यह प्रक्रिया संविधान और कानून के तहत पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है. इस संबंध में आयोग नियमित रूप से प्रेस नोट (पीएन) और विज्ञापन जारी कर नागरिकों को जागरूक कर रहा है.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2)(ए) और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 25 के अनुसार, हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य होता है. इस कानून के पालन में ही बिहार में यह व्यापक अभियान चलाया जा रहा है.
इस बार बिहार एक बड़ा बदलाव करते हुए प्रति बूथ अधिकतम मतदाता संख्या 1,200 तक सीमित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. इसके चलते राज्य में मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई है. इसी तरह, बी.एल.ओ. (Booth Level Officer) की संख्या भी अब 90,712 कर दी गई है, जो पहले 77,895 थी.
बढ़े हुए मतदान केंद्रों और मतदाता संख्या को देखते हुए, वोटर सहायता के लिए नियुक्त स्वयंसेवकों की संख्या भी एक लाख से बढ़ाकर अब लगभग चार लाख की जा रही है. इसके साथ ही, बिहार के सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने अपने बी.एल.ए.एस (Booth Level Agents) की संख्या 1,38,680 से बढ़ाकर 1,60,813 कर दी है.
चुनाव प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए ऐसे मतदाताओं की सूची, जो अब जीवित नहीं हैं, स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके हैं, दो बार वोटर लिस्ट में दर्ज हैं या जिनसे बी.एल.ओ. कम से कम तीन बार संपर्क नहीं कर सके हैं - उन्हें 20 जुलाई तक सभी राजनीतिक दलों और उनके बी.एल.ए. के साथ साझा कर दिया गया है.
इसके अलावा, बूथवार मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित कर दी गई है, जिसे सभी राजनीतिक दलों और विज्ञापनदाताओं के साथ साझा किया गया है. यह ड्राफ्ट लिस्ट ऑनलाइन पोर्टल पर भी उपलब्ध है.
भारत निर्वाचन आयोग दावा-आपत्ति की स्थिति को दैनिक बुलेटिन के माध्यम से नियमित रूप से साझा कर रहा है ताकि प्रक्रिया में सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सके.