Bharat Band Bharat Bandh 2024 Updates: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति (SC) व जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर दिए गए फैसले के खिलाफ आज कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया था. इसके अलावा बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियों ने भी बंद का समर्थन किया. दरअसल, दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर ये बंद बुलाया था. दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए न्याय और समानता सहित मांगों की एक लिस्ट जारी की है. भारत बंद का सबसे व्यापक असर बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों के आदिवासी इलाकों में देखने को मिला.
बुधवार के भारत बंद का सबसे व्यापक असर बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों के आदिवासी इलाकों में देखने को मिला. बिहार में भारत बंद के दौरान विभिन्न जगहों पर सड़कों और रेल ट्रैकों को रोकने करने की कोशिश की गई. भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस टीम ने लाठीचार्ज की, जिसमें कुछ प्रदर्शनकारियों को चोटें आई हैं. ट्रैफिक जाम और ट्रेन सेवाओं में रुकावट के चलते आम लोगों को यहां थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण को लेकर दिए गए फैसले के विरोध में आज भारत बंद है. उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के मद्देनजर तैयारियां की गई हैं. पुलिसबलों को व्यापक तौर पर तैनात किया गया है. फिलहाल पूरे यूपी में स्थिति नियंत्रण में है. अभी तक किसी तरह की अप्रिय घटना सामने नहीं आई है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में भारत बंद का सबसे अधिक असर बिहार में देखने को मिल रहा है. यहां सहरसा में कुछ देर के लिए ट्रेन रोक दी गई है. पटना की सड़कों पर बड़ी संख्या में लोग जुटे हैं. पटना के डिप्टी एसपी अशोक कुमार सिंह का कहना है कि यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं है. आम आदमी ट्रैवल नहीं कर पा रहा है. हम प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन नहीं करने को कह रहे हैं. लेकिन कोई समझ ही नहीं पा हाँ. इस वजह से उन्हें खदेड़ने के लिए हमें हल्का बलप्रयोग भी करना पड़ा.
बिहार में भारत बंद का अच्छा-खासा असर देखने को मिल रहा है. बड़ी संख्या में बंद के समर्थक सड़कों पर जुटे हुए हैं. ये लोग बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ रहे थे, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इसके साथ ही उन पर पानी की बौछार भी की गई.
झारखंड के रांची में भी भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है. इससे जनजीवन प्रभावित हुआ है. इस बंद के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए कोटा के भीतर कोटा को लेकर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने भारत बंद का आह्वान किया है. दलित और आदिवासी संगठनों ने अदालत से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बुधवार को भारत बंद है. इस बंद के मद्देनजर राजस्थान के पांच जिलों जयपुर, भरतपुर, गंगापुर सिटी, दौसा और डीग में स्कूल बंद हैं.
बिहार के दरभंगा में जगह-जगह प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. यहां कई जगह पर आगजनी की भी खबर है.

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भारत बंद को लेकर पुलिस के पुख्ता इंतजाम देखे गए हैं. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए कोटा के भीतर कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में बुधवार को भारत बंद बुलाया है. दलित और आदिवासी संगठनों की मांग है कि अदालत अपने इस फैसले को रद्द करे.
राजस्थान के अजमेर में भारत बंद का असर साफ देखा जा रहा है. यहां सड़कें सुनसान हैं. बाजार बंद पड़े हैं. आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने कोटे में कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में और इसे रद्द करने की मांग को लेकर भारत बंद का आह्वान किया है.
राजस्थान की राजधानी जयपुर में भारत बंद का असर पूरी तरह से दिखाई दे रहा है. सभी दुकानें बंद है, सड़कों पर लोग नहीं निकल रहे हैं. जयपुर सहित सूबे के 13 जिलों में स्कूल कॉलेज और कोचिंग बंद है. भरतपुर और दौसा जिले में इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है. दवाइयां, दूध और मेडिकल से संबंधित जरूरी सेवाओं को बंद से दूर रखा गया है.
(इनपुट: शरत कुमार)
बिहार के भोजपुर में भारत बंद के समर्थन में विभिन्न दलों के नेताओं ने आरा रेलवे स्टेशन पर चक्का जाम किया. मैसूर रानी कमलापति सहरसा ट्रेन को रोककर प्रदर्शन किया जा रहा है. इस मौके पर आरपीएफ और जीआरपी पुलिस मौजूद है.
बिहार के जहानाबाद में भारत बंद का असर देखने को मिल रहा है. सड़कों पर समर्थक जुटे हुए हैं. भारत बंद समर्थकों ने एनएच-83 को ब्लॉक कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के कोटा के भीतर कोटा फैसले के खिलाफ भारत बंद का समाजवादी पार्टी ने समर्थन किया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आरक्षण की रक्षा के लिए जन-आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है. ये शोषित-वंचित के बीच चेतना का नया संचार करेगा और आरक्षण से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के खिलाफ जन शक्ति का एक कवच साबित होगा. शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार होता है. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जी ने पहले ही आगाह किया था कि संविधान तभी कारगर साबित होगा, जब उसको लागू करनेवालों की मंशा सही होगी, सत्तासीन सरकारें ही जब धोखाधड़ी, घपलों-घोटालों से संविधान और संविधान द्वारा दिये गये अधिकारों के साथ खिलवाड़ करेंगी तो जनता को सड़कों पर उतरना ही होगा. जन-आंदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाते हैं.
राजस्थान के बारां शहर में बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. बाजारों में दुकानें बंद हैं. बंद को लेकर प्रशासन अलर्ट कर दिया गया है. बंद के दौरान अस्पताल, मेडिकल, लैब और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी. दूध डेयरी, पेट्रोल पंप, बैंक, सभी तरह के सरकारी कार्यालय भी खुले रहेंगे. इसे देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न सामाजिक संगठनों, व्यापारिक संगठनों के अधिकारियों के साथ मिनी सचिवालय परिसर में बैठक हुई थी. कलक्टर और पुलिस अधीक्षक ने बैठक में मौजूद सभी संगठनों के अधिकारियों से अपील की कि सभी सामाजिक संगठन और व्यापारिक संगठन एक-दूसरे का सहयोग करते हुए सामाजिक सौहार्द बनाए रखें. किसी भी तरह की अफवाहें न फैलाई जाए और शांति व्यवस्था बनाए रखें. जिला कलक्टर और एसपी ने सभी संगठनों से अपील की है कि जिले में भारत बंद के दौरान कोई भी संगठन अशांति न फैलाएं और एक दूसरे का सहयोग करें. एसपी ने कहा अगर कोई भी व्यक्ति कानून व्यवस्था बिगाड़ेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
बिहार के सहरसा में भी भारत बंद का असर दिख रहा है. सहरसा के थाना चौक पर भारत बंद के समर्थक जुटना शुरू हो गए हैं और सड़क जाम कर दी है. भीम सेना के नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं. केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है.
रामगढ़ में भारत बंद का व्यापक असर देखा जा रहा है. NH/33 रांची-पटना मुख्य मार्ग जाम कर दिया है. प्रदर्शनकारी सड़क पर लेटकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
राजधानी दिल्ली में भारत बंद का असर देखने को नहीं मिलेगा. दिल्ली में व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) का कहना है कि दिल्ली में सभी 700 बाजार खुले रहेंगे. CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि हमने कश्मीरी गेट, चांदनी चौक, खारी बावली, नया बाजार, चावड़ी बाजार, सदर बाजार, करोल बाग, कमला नगर, कनॉट प्लेस, लाजपत नगर, सरोजिनी नगर आदि 100 से ज्यादा बाजारों के एसोसिएशंस से इस विषय पर चर्चा की और सभी का कहना है कि 21 अगस्त को भारत बंद को लेकर किसी ने भी व्यापारी संगठनों से ना ही संपर्क किया है और ना ही समर्थन मांगा है इसलिए दिल्ली के सभी 700 बाजार पूरी तरह से खुले रहेंगे. इसके अलावा सभी 56 इंडस्ट्रियल एरिया भी खुले रहेंगे.
(इनपुट: आशुतोष मिश्रा)
भारत बंद की वजह से राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के सरकारी और गैर सरकारी स्कूल, कॉलेज बंद हैं. इंटरनेट सेवाएं भी बंद हैं. इसके अलावा आज कोचिंग संस्थानों से लेकर आंगनबाड़ी और लाइबेरी भी बंद रहेंगे. लेकिन सरकारी शिक्षकों और कार्मिकों का संस्थान में मौजूद रहने जरूरी होगा. भारत बंद के ऐलान को देखते हुए अतिरिक्त जिला कलेक्टर जगदीश आर्य ने आदेश जारी किए हैं.
(इनपुट: सुनील जोशी)
सुप्रीम कोर्ट के कोटे के भीतर कोटे से जुड़े फैसले को लेकर बुधवार को भारत बंद है. इस बंद का व्यापक असर झारखंड के गिरिडीह में देखा जा रहा है. सुबह से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ता बंद कराने के लिए सड़कों पर उतर गए. वाहनों का परिचालन पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. गिरिडीह बस स्टैंड से लंबी दूरी की चलने वाली गाड़ियां नहीं खुली. इसकी वजह से यात्रियों को वापस लौटना पड़ा है.
(इनपुट: सूरज सिन्हा)
भारत बंद के मद्देनजर देश में क्या-क्या बंद रहेगा या क्या-क्या खुला रहेगा. इसे लेकर कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं हुई है. लेकिन बंद के मद्देनजर कई जगहों पर सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रभावित हो सकती है. एंबुलेंस, हॉस्पिटल और चिकित्सा सेवाओं सहित इमरजेंसी सेवाएं खुली रहेंगी. सरकारी दफ्तर, बैंक, पेट्रोल पंप , स्कूल और कॉलेज में सामान्य रूप से काम-काज होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बंद के आह्वान के बावजूद सार्वजनिक परिवहन, रेल सेवाएं चालू रहेंगी.
कोटे के भीतर कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने मांगों की एक सूची जारी की है, जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं. संगठन SC, ST और OBC के लिए आरक्षण पर संसद के एक नए अधिनियम के अधिनियमन की भी मांग कर रहा है, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करके संरक्षित किया जाएगा.
NACDAOR ने सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को तत्काल जारी करने की भी मांग की है ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की भी मांग की जा रही है. जिसका लक्ष्य हायर ज्यूडीशियरी में SC, ST और OBC श्रेणियों से 50 फीसदी प्रतिनिधित्व लेना है. केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरने का आह्वान किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के बीच में ही अलग-अलग श्रेणियां बनाने की राज्य सरकारों को मंजूरी दी थी. कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण का सबसे अधिक फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए. ऐसे में इस फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) ने भारत बंद का ऐलान किया है. कई संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया गया है क्योकि कोर्ट के इस फैसले को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया था. कोर्ट से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है.
भारत बंद को देखते हुए जयपुर, दौसा, भरतपुर, गंगापुर सिटी, डीग समेत पांच जिलों के स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है. इसके अलावा गुड़गांव, झुंझुनू और सवाईमाधोपुर जिले में भी स्कूलों में छुट्टियां घोषित की गई हैं.
बसपा, आरजेडी ने आरक्षण के मुद्दे पर बुलाए गए भारत बंद का समर्थन किया है. चिराग पासवान की पार्टी ने भी बंद को समर्थन दिया है. वहीं जीतन राम मांझी और उनकी पार्टी ने कहा है कि वह बंद के खिलाफ हैं और इसका समर्थन नहीं करते हैं. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भारत आदिवासी पार्टी मोहन लात रोत का भी समर्थन मिल रहा है. साथ ही कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों के नेता भी समर्थन में हैं.
भारत बंद बुलाने वाले संगठनों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट कोटे में कोटा वाले फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे. दरअसल, कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकार एससी के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं. एससी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए.
NACDAOR ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सात न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए एक फैसले के प्रति उल्ट दृष्टिकोण अपनाया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा स्थापित की थी. NACDAOR ने सरकार से इस फैसले को खारिज करने का आग्रह किया है.