कर्नाटक के बेलगावी से संचालित और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने वाले एक बड़े साइबर धोखाधड़ी गिरोह का बेलगावी सिटी साइबर पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. यह रैकेट आजम नगर में एक किराए के हॉल में चलता था. ठगों ने पीड़ितों से लाखों डॉलर की ठगी की थी.
ठगी के लिए अमेरिकी लोगों को हर दिन करते थे 100 कॉल
पुलिस के अनुसार, गिरोह ने कॉल सेंटर चलाने की अनुमति ली थी. लेकिन चल साइबर ठगी रही थी. विश्वसनीय जानकारी के आधार पर पुलिस ने छापेमारी की और मार्च से सक्रिय इस घोटाले का पर्दाफाश किया. तीन दिनों की जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि आरोपी प्रतिदिन लगभग 100 लोगों को कॉल कर रहे थे. उनके मुख्य लक्ष्य संयुक्त राज्य अमेरिका में वरिष्ठ नागरिक थे.
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डार्क वेब से प्राप्त नंबरों का उपयोग करके, धोखेबाजों ने पीड़ितों को यह दावा करते हुए कॉल किया कि उनके नाम पर एक पार्सल आया है. जब पीड़ितों ने कोई पार्सल भेजने से इनकार किया, तो उन्हें उसे "रद्द" करने के लिए एक और नंबर दिया गया. पीड़ित द्वारा उस नंबर पर कॉल करने के बाद, स्कैमर्स ने उन्हें बरगलाया. इसके बाद संघीय व्यापार आयोग के अधिकारियों का रूप धारण किया और कम से कम 11 स्क्रिप्टेड कहानियों के ज़रिए पैसे ऐंठ लिए.
गुजरात और पश्चिम बंगाल के हैं आरोपी
पुलिस ने छापेमारी के दौरान 37 लैपटॉप और 37 मोबाइल फ़ोन ज़ब्त किए और 33 आरोपियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपी गुजरात और पश्चिम बंगाल के हैं. फिलहाल उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. यह परिसर एजाज खान का था, जिसने इस गिरोह को यह जगह किराए पर दी थी. पुलिस का कहना है कि यह गिरोह बेलगावी को साइबर धोखाधड़ी के नए केंद्र "जामताड़ा" में बदलने की कोशिश कर रहा था.
बेलगावी सिटी साइबर पुलिस ने शुरू की जांच
बेलगावी सिटी पुलिस कमिश्नर, बोरसे भूषण गुलाबराव ने बताया कि “यह अमेरिका में बुज़ुर्गों को निशाना बनाकर किया गया एक संगठित अपराध था. वे अब तक भारतीयों के साथ जो कर रहे थे, वही अब अमेरिकियों के साथ भी कर रहे थे. उन्होंने डार्क वेब से नंबर हासिल किए और संघीय सरकार, अमेज़न व कई अन्य संगठनों से होने का दावा करते हुए लोगों को कॉल किया. उनके पास 11 अलग-अलग स्क्रिप्ट के साथ 11 अलग-अलग तरीके थे.
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प्रत्येक व्यक्ति दिन में कम से कम 100 कॉल करता था और उन सुरागों से 2 से 10 लोगों को ठगने में कामयाब होता था. वे ये कॉल करने के लिए वीपीएन और वीओआईपी सेवाओं का इस्तेमाल करते थे. वीओआईपी का मतलब पारंपरिक फ़ोन लाइनों के बजाय इंटरनेट पर की जाने वाली कॉल होती थीं.
यह छापेमारी एक गुप्ता सूचना के आधार पर की गई थी. छापेमारी के दौरान पहले तो लगा कि भारतीय लोगों को निशाना बनाया जा रहा था. लेकिन जांच की गई तो पता चला कि विदेशियों को निशाना बनाया जा रहा था. जांच पूरी होने के बाद हम पूरे नेटवर्क का पता लगा पाएंगे. हमें एक बड़े नेटवर्क का संदेह है और हमारा मानना है कि इसमें और भी लोग शामिल हैं.
गिरफ्तार लोग गुजरात और पश्चिम बंगाल के हैं.
बेलगावी सिटी पुलिस कमिश्नर ने कहा कि हमने आरोपियों के पास से 37 लैपटॉप और 37 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं और इन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है. गिरफ्तार किए गए लोग गुजरात और पश्चिम बंगाल के हैं. चूंकि मामले में विदेशी लोग शामिल हैं इसलिए हमें प्रोटोकॉल का पालन करना होगा और कर्नाटक स्थित सीआईडी नोडल कार्यालय, सीबीआई, इंटरपोल व भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से सहायता लेनी होगी.