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Avalanche in Uttarakhand: उत्तराखंड में हिमस्खलन के बाद 10 नेवी जवान लापता, पर्वतारोहण अभियान का थे हिस्सा

Avalanche in Uttarakhand: उत्तराखंड में हिमस्खलन की वजह से 10 जवान लापता हैं. ये लोग एक पर्वतारोहण अभियान के लिए माउंट त्रिशूल जा रहे थे.

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उत्तराखंड में हिमस्खलन के बाद पांच जवान लापता (सांकेतिक फोटो)
उत्तराखंड में हिमस्खलन के बाद पांच जवान लापता (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उत्तराखंड में हिमस्खलन के बाद नेवी के 10 जवान लापता
  • सभी पर्वतारोहण अभियान का हिस्सा थे

भारतीय नेवी के 10 जवान उत्तराखंड में हिमस्खलन (Avalanche in Uttarakhand) की चपेट में आ गए हैं. फिलहाल उनको ढूंढने का काम जारी है. जवान 20 सदस्यों वाले एक पर्वतारोहण अभियान का हिस्सा हैं जो कि माउंट त्रिशूल पर जा रहा था. लेकिन रास्ते में ही यह हादसा हो गया. फिलहाल तेजी से तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.

सूचना पर उत्तरकाशी नेहरू पर्वतरोहण संस्थान से रेस्क्यू ऑपरेशन टीम प्रधानचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में उत्तरकाशी से त्रिशूल चोटी के लिए रवाना हो गई है. बता दें कि 7,120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए दल गया था. त्रिशूल चोटी चमोली जिले की सीमा पर स्थित कुमाऊ के बागेश्वर जनपद में स्थिति हैं. ग्राउंड रेस्क्यू टीम के साथ-साथ हेलिकॉप्टर्स, सेना, एयरफोर्स, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) तलाशी अभियान में जुटे हैं.

बताया जा रहा हैं शुक्रवार सुबह दल चोटी के समिट के लिए आगे बढ़ा और इसी दौरान जबरदस्त हिमस्खलन हुआ, जिसकी चपेट में नोसेना के पर्वतारोही आ गए. नेहरू पर्वतरोहण संस्थान के प्रधानचार्य अमित बिष्ट ने बताया कि यह घटना शुक्रवार सुबह पांच बजे के करीब हुई, जिसमें10 नौ सेना पर्वतारोही लापता चल रहे हैं.

पर्वतारोहण अभियान के लिए इसी महीने मुंबई से निकली थी टीम

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मिली जानकारी के मुताबिक, कुल 20 सदस्यों की टीम ने मुंबई से 3 सितंबर 2021 को अभियान की शुरुआत की थी. सुबह 10 जवान अभियान के आखिरी चरण के लिए आगे बढ़े. लेकिन रास्ते में हिमस्खलन के शिकार हो गए. 

इसी हफ्ते मिले थे 16 साल पहले लापता हुए जवान के अवशेष

इससे पहले उत्तराखंड में सतोपंथ चोटी के पास हाल में बर्फ में पड़े मिले एक शव के अवशेष मिले थे. उनके 16 साल पहले पर्वतारोहण के दौरान लापता हुए सेना के जवान अनीश त्यागी के होने के मजबूत संकेत मिले थे. फिर उनको इसी हफ्ते सोमवार को सैन्य सम्मान के साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मोदीनगर स्थित उनके पैतृक गांव भेज दिया गया था.

 

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