यूक्रेन और रूस के बीच यद्ध 10 दिन से लगातार चल रहा है. साथ ही, यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को भारत लाना भी जारी है. आंध्र प्रदेश ने अपने प्रतिनिधियों यूक्रेन के सीमावर्ती देशों में भेजा है. आंध्र प्रदेश भारत का एकमात्र राज्य है जिसने केंद्र की मदद के लिए युद्ध प्रभावित देश यूक्रेन में अपने प्रतिनिधि भेजे हैं.
CM अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं
छात्रों और अभिभावकों के बीच डर को दूर करने के लिए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अधिकारियों को वहां प्रतिनिधि भेजने के निर्देश दिए थे, ताकि भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके. मुख्यमंत्री स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और अधिकारियों के संपर्क में बने हुए हैं. प्रतिनिधियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में छात्रों और भारतीय नागरिकों से बातचीत की है.
चार अधिकारियों को चार सीमावर्ती देशों में भेजा
आंध्र प्रदेश सरकार के ये प्रतिनिधि यूक्रेन के सीमावर्ती देशों में पहुंच चुके हैं. ये अधिकारी चार अलग-अलग क्षेत्रों- हंगरी, पोलैंड, स्लोवाकिया और रोमानिया में तैनात हैं. ये चार अधिकारी हैं जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में भेजा गया है. मेदापति एस वेंकट को हंगरी भेजा गया है, चंद्रहासा रेड्डी को रोमानिया, रत्नाकर को स्लोवाकिया भेजा गया है, तो रवींद्र रेड्डी पोलैंड गए हैं.
बुडापेस्ट से लौटेंगे 1100 छात्र
यूक्रेन की सीमाओं पर पहुंचे इन प्रतिनिधियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, लगभग 1100 छात्र शनिवार को बुडापेस्ट से भारत के लिए उड़ान भर सकते हैं. ये छात्र यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों से यहां पहुंचे हैं. छात्रों को सुरक्षित वापस लाने के लिए 5 उड़ानों की व्यवस्था की गई है. छात्रों के लिए हंगरी का रास्ता आसान है. बताया जा रहा है कि शनिवार शाम करीब 1500 छात्र हंगरी की सीमा पर पहुंच रहे हैं.
रोमानिया से अब तक 5800 भारतीय निकाले गए
रोमानिया से 5 मार्च तक 5800 भारतीयों को निकाला जा चुका है. सभी छात्र भारत के लिए रवाना हो गए हैं. शनिवार तक 250 से अधिक छात्रों के यहां पहुंचने की उम्मीद है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इलाके में मौजूद हैं और छात्रों के आने का इंतजार कर रहे हैं.
उड़ानों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया
उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए विदेश मंत्रालय से अनुरोध किया गया है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों को वहां से बाहर निकाला जा सके. कई लोगों ने शिकायत की है कि इन छात्रों को निकालने के लिए दो उड़ानें काफी नहीं हैं. प्रतिनिधियों को जानकारी मिली है कि 9 मार्च तक अधिकतर छात्रों को निकाल लिया जाएगा. शेल्टर होम और हॉस्टल में मौजूद सभी छात्र सुरक्षित हैं और उनके पास खाना, दवा और बाकी ज़रूरी चीजें भी उपलब्ध हैं.
प्रतिनिधि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि स्वदेश वापस लौटने की प्रक्रिया से जुड़े सभी अपडेट भारत में रहने वाले छात्रों के परिवारों तक समय पर पहुंचें.