जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों के खिलाफ एनकाउंटर का आज सातवां दिन है. 13 सितंबर को अनंतनाग के कोकरनाग में आतंकियों के साथ एनकाउंटर में सेना के दो अफसर और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी शहीद हो गए थे. तब से ही कोकरनाग के हलूरा गंडूल इलाके में आतंकियों को ढूंढ-ढूंढकर ढेर किया जा रहा है.
एनकाउंटर के छठे दिन सोमवार को सुरक्षाबलों ने लापता जवान प्रदीप का शव भी बरामद कर लिया. इसके अलावा, मुठभेड़ स्थल से सेना को एक अज्ञात शव भी मिला है, जिसके आतंकवादी होने का शक है. सेना को अभी भी यहां पर आतंकियों के छिपे होने की आशंका है.
घने जंगल में छिपे आतंकियों को ढूंढ निकालने के लिए सेना ड्रोन और हेलिकॉप्टर से निगरानी कर रही है. माना जा रहा है कि यहां अब भी कुछ आतंकी छिपे हो सकते हैं. अधिकारियों ने बताया कि रविवार को ही जंगल के पास के पोश क्रेरी इलाके में भी सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया है, ताकि आतंकी नागरिक इलाकों में न घुस पाए.
लापता जवान का शव मिला
बीते गुरुवार (14 सितंबर) से सेना के जवान प्रदीप लापता थे. सोमवार को सेना को प्रदीप का शव भी मिला है. मंगलवार को प्रदीप को सुबह साढ़े नौ बजे पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी.
अनंतनाग में अब तक सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, बटालियन कमांडर मेजर आशीष धौंचक, जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट और दो जवान शहीद हो चुके हैं.
सीनियर अफसर रख रहे हैं निगरानी
अनंतनाग में आतंकियों के खिलाफ चल रहे इस ऑपरेशन की निगरानी सीनियर अफसर कर रहे हैं. डीजीपी, सेना की 15वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग और कश्मीर में सिक्योरिटी ग्रिड के टॉप अफसर इस पूरे ऑपरेशन को देख रहे हैं.
उत्तरी सेना के कमांडर ने शनिवार को एनकाउंटर साइट का दौरा किया था. मंगलवार को एक बार फिर डीजीपी और कॉर्प कमांडर एनकाउंटर साइट पर जाएंगे.
पहाड़ों पर ड्रोन और पैरा कमांडो तैनात
आतंक के खिलाफ इस ऑपरेशन में भारतीय सेना अपना वो हर हथियार इस्तेमाल कर रही है, जिसकी कल्पना आतंकवादियों ने कभी नहीं की होगी. जैसे सेना के जवानों को धोखे से मारने वाले आतंकियों की कब्र खोदने के लिए हेरोन ड्रोन तैनात कर दिया गया है. लंबी दूरी की मिसाइलों और हथियारों से लैस हेरोन मार्क टू ड्रोन लगातार 36 घंटे तक आसमान में चीन और पाकिस्तान की एक साथ निगरानी रख सकता है.
दुनिया के इस खतरनाक ड्रोन को इस पहाड़ी की निगरानी के लिए तैनात किया गया है. साथ ही पैरा कमांडो को भी तैनात किया गया है. पैरा कमांडो को स्पेशल और खतरनाक ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए जाना जाता है.
चुनौतियां भी हैं कई
दक्षिणी अनंतनाग का ये इलाका पहाड़ों से घिरा है. चारों तरफ पेड़ और घना जंगल है. जो आतंकवादियों की शरणस्थली बन चुके हैं. जहां पर उन्हें पकड़ना थोड़ा मुश्किल है और सुरक्षाबलों पर घात लगातार हमला करना आसान है. इसी का शिकार हमारे तीन जवान हुए.