संसद के दोनों सदनों से पारित हुए वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश में राजनीति तेज है. जहां कई मुस्लिम संगठन और पार्टियां विरोध कर रही हैं तो कई इसका खुलकर समर्थन कर रहे हैं. इस क्रम में अब ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसका खुलकर समर्थन किया है. बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने लखनऊ में बयान देते हुए कहा कि यह एक सकारात्मक पहल है, जो पहले ही की जानी चाहिए थी.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक शाइस्ता अम्बर ने कहा कि यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा, “पहले की सरकारें और धार्मिक नेता इस दिशा में कभी आगे नहीं आए. जो अब सरकार ने किया है, वह एक सराहनीय और जरूरी कदम है. वक्फ की संपत्तियों को लेकर जो गड़बड़ियां थीं, उन्हें दुरुस्त किया जाना आवश्यक था.”
उन्होंने वक्फ संपत्तियों के मूल उद्देश्य की ओर इशारा करते हुए कहा, “जो लोग वक्फ में दान देते हैं, उनकी मंशा होती है कि वह दान गरीबों, जरूरतमंदों और सामाजिक हितों में उपयोग हो. लेकिन दुर्भाग्यवश, वक्फ बोर्ड ने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन नहीं किया.”
शाइस्ता अम्बर ने स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रहीं कि सभी वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पारदर्शी और जिम्मेदार नहीं रही. उन्होंने आरोप लगाया कि बोर्ड ने अपने अधिकारों का सही उपयोग नहीं किया और आम मुसलमानों, खासकर महिलाओं और गरीब तबके की उपेक्षा की गई.
बोर्ड अध्यक्ष ने मौजूदा सरकार से अपील की कि इस विधेयक के बाद वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन पूर्ण पारदर्शिता के साथ किया जाए और गरीबों के हित में उसका उपयोग सुनिश्चित हो. उन्होंने कहा कि अब सरकार को चाहिए कि जो वक्फ संपत्तियां अवैध कब्जे में हैं, उन्हें छुड़वाया जाए, जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो.
'किसी भी सरकार ने मुसलमानों के लिए कुछ नहीं किया'
शाइस्ता अम्बर ने राजनीतिक दलों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “आज तक किसी भी सरकार ने मुस्लिम समाज के लिए वास्तविक काम नहीं किया. सभी ने सिर्फ वोट बैंक की राजनीति की है. हम बीजेपी सरकार से अपील करते हैं कि अब सही मायने में मुस्लिम समाज, खासकर महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित किया जाए.”
उन्होंने कहा कि बाकी पार्टियां जो इतने वर्षों तक सत्ता में रहीं, उन्होंने इस दिशा में कोई कदम क्यों नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि क्या वे अब तक सो रही थीं? अब जबकि सरकार ने पहल की है, तो हम उम्मीद करते हैं कि यह सिर्फ कानून तक सीमित न रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर असर दिखे.