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जब अमर, अकबर और एंथनी की तिकड़ी में आता था अहमद पटेल का नाम

ये तस्वीर 1985 की है. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अरुण सिंह, ऑस्कर फर्नांडिस और अहमद पटेल को संसदीय सचिव बनाया. इन तीनों की जोड़ी को उस वक्त अमर, अकबर, एंथनी कहकर पुकारा जाता था.

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अरुण सिंह, ऑस्कर फर्नांडीज, अहमद पटेल और राजीव गांधी (फाइल फोटो)
अरुण सिंह, ऑस्कर फर्नांडीज, अहमद पटेल और राजीव गांधी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अहमद पटेल का 71 साल की उम्र में निधन
  • 1985 में बने थे पीएम के संसदीय सचिव

कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकारों में शुमार रहे अहमद पटेल का आज 71 साल की उम्र में निधन हो गया. अहमद पटेल के निधन से कांग्रेस परिवार में शोक पसर गया है. तमाम आला नेता अहमद पटेल को याद कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के लिए उनके संघर्ष और योगदान का भी जिक्र आम है. इसी बीच अहमद पटेल की एक तस्वीर चर्चा में आ गई है जब उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव के रूप में शपथ ली थी. 

ये तस्वीर 1985 की है. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली थी. 31 दिसंबर 1984 को राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और इसके बाद उन्होंने अपनी कैबिनेट का भी गठन किया. प्रधानमंत्री के लिए संसदीय सचिव भी चुने गए. अरुण सिंह, ऑस्कर फर्नांडिस और अहमद पटेल ने पीएम राजीव गांधी के संसदीय सचिव के रूप में शपथ ली.  

तीनों को बॉलीवुड फिल्म अमर, अकबर, एंथनी के नाम से भी जोड़कर देखा जाता था. अमर के रूप में अरुण सिंह, अकबर के रूप में अहमद पटेल और एंथनी के रूप में ऑस्कर फर्नांडिस की चर्चा होती थी. 

बता दें कि अहमद पटेल वो नेता थे, जिन्होंने 1977 के लोकसभा चुनाव में भी जीत दर्ज की थी. ये वो चुनाव था जब देश में माहौल कांग्रेस के खिलाफ था और पार्टी हर तरफ हार रही थी, मगर गुजरात की भरूच सीट से अहमद पटेल ने जीत दर्ज की और उस वक्त 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बनने का भी रिकॉर्ड बनाया. 

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इसके बाद वो लगातार जीतते चले गए. 1980 और 1984 का चुनाव भी भरूच सीट से ही जीता. 1977 से 1982 तक अहमद पटेल गुजरात यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. इसके बाद सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वो कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव रहे.

1985 में जनवरी से सितंबर तक वो प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे. इस तरह अहमद पटेल का राजनीतिक सफर आगे बढ़ता चला गया और गांधी परिवार के सबसे नजदीक नेता बन गए. अंतिम सांस तक वो कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी और जिम्मेदारी निभाकर इस दुनिया से विदा हुए.


 

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