अफगानिस्तान से अमेरिका की पूरी तरह वापसी हो चुकी है, इस बीच भारत ने भी अहम फैसला लिया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने अफगान मसले पर एक हाई-लेवल कमिटी बनाई है. इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत सुरक्षा से जुड़े कुछ अन्य अधिकारी शामिल हैं. इसके अलावा विदेश मंत्रालय के अफगान डिविजिन के लोग भी इसमें हैं. इस ग्रुप का काम अफगानिस्तान की बदलती स्थिति पर नजर रखना है, जिससे यह तय किया जा सके कि भारत की प्राथमिकता क्या होंगी.
भारत और अफगानिस्तान पिछले 20 सालों से करीबी मुल्क रहे हैं. भारत की तरफ से अफगान में काफी निवेश भी किया गया था. हालांकि, भारत की पहली प्राथमिकता वहां फंसे भारतीय लोगों को निकालना है. ताजा जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी सेना के जाने के बाद भी कुछ भारतीय वहां रह गए हैं. फिलहाल अफगान का एयरपोर्ट तालिबान के कब्जे में है.
इन तीन चीजों पर कमेटी का जोर
कमिटी के बनने के बाद से ही पिछले कुछ दिनों में इसकी लगातार मीटिंग हो रही हैं. सूत्रों से जानकारी मिली है कि सबसे पहली प्राथमिकता फंसे भारतीयों को वहां से निकालना है. इसके साथ-साथ अफगान के अल्पसंख्यकों को भी भारत लाने की कोशिशे हैं. इसके साथ-साथ इसपर भी जोर है कि अफगान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधि के लिए ना हो.
अफगान में तालिबान सरकार बनाने वाला है, लेकिन उस सरकार को भारत मान्यता देगा या नहीं यह फिलहाल साफ नहीं है. भारत की तरफ से विभिन्न मौकों पर कहा गया है कि फिलहाल 'वेट एंड वॉच' की रणनीति अपनाई जा रही है. इसमें दूसरे देशों की प्रतिक्रियाओं पर भी नजर रखी जा रही है. संयुक्त राष्ट्र ने भी अफगान संकट पर कुछ प्रस्ताव पास किए हैं. भारत भी संयुक्त राष्ट्र के कुछ स्थाई सदस्यों के साथ लगातार सम्पर्क में बना हुआ है.