भारत के किसान आंदोलन पर अमेरिका की ओर से जो टिप्पणी आई है, उसमें एक वाक्य इंटरनेट पांबदी पर भी है. अमेरिका ने कहा है कि सूचनाओं और इंटरनेट की उपलब्धता बुनियादी आज़ादी का अहम हिस्सा है और किसी भी लोकतांत्रिक मूल्य वाले देश की निशानी है. इसके बावजूद, एक रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों में, भारत सबसे ज्यादा बार इंटरनेट शटडाउन करने वाला देश है. किसान आंदोलन के दौरान एनसीआर और हरियाणा के कुछ इलाक़ों में तो इंटरनेट शटडाउन हुआ ही; जम्मू कश्मीर के लोग अरसे से इंटरनेट पाबंदियों को झेलते रहे हैं. इससे न सिर्फ कामकाजी लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर असर पड़ता है, कई व्यापार भी प्रभावित होते हैं और इकॉनमी को कीमत चुकानी पड़ती है.
क्या वो चीज है जो भारत में इंटरनेट शटडाउन को इतना आसान बनती है? इससे कितना नुकसान होता है और आंकड़े क्या कहते हैं?
दूसरी ख़बर, पश्चिम बंगाल से जहां विधानसभा चुनाव से पहले ममता सरकार और बीजेपी के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है. ममता बनर्जी के किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी पांच खंडो में राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर रथ यात्रा निकालना चाहती है लेकिन ममता सरकार ने इसकी इजाज़त को लेकर हामी नहीं भरी है. इसलिए मामला अब कोर्ट में भी पहुँच गया है. इसी बीच ये कहा जा रहा है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस परिवर्तन रथ यात्रा का शुभारंभ 6 फरवरी से करने वाले हैं. तो प्रशासन की मंजूरी के बिना ये कैसे होगा और क्या बंगाल में बीजेपी और TMC इस रथयात्रा को लेकर एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रहे हैं?
बात महाराष्ट्र की भी जहां विधानसभा स्पीकर नाना पटोले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और सुगबुगाहटें हैं कि कांग्रेस उन्हें प्रदेश में बड़ा पद दे सकती है. नाना पटोले कई पार्टियों में रह चुके हैं. शिवसेना में भी रहे हैं, भाजपा से सांसद रहे हैं और कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं. तो नाना पटोले को कांग्रेस अगर बड़ी ज़िम्मेदारी देती है तो उसके कारण क्या हैं?
और आख़िर में बात पाकिस्तान में हुई एक सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसे न भारत ने अंज़ाम दिया और न अमेरिका ने. ये सर्जिकल स्ट्राइक की है ईरान ने. ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स (आईआरजीसी) के दो जवानों को वहां आतंकवादियों ने अगवा कर लिया था, जिसके बाद इस ऑपरेशन से दोनों ईरानी जवानों को रिहा करा लिया गया है. इसकी पूरी कहानी.
इन सारी ख़बरों पर विस्तार से बात, इसके अलावा आज के अख़बारों के हाल और आज की तारीख़ का इतिहास, सुनिए आज तक रेडियो के मॉर्निंग पॉडकास्ट ‘आज का दिन’ में, कुलदीप मिश्र के साथ.