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आज का दिन: कोरोना की तीसरी लहर की आशंका, कैसे खोले जाएं स्कूल?

तीसरी लहर, डेल्टा वेरिएंट के खतरे के बीच आख़िरकार दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि सरकार को अब स्कूल्स को खोलना चाहिए. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारत के बच्चों की इम्युनिटी अच्छी होती है. उन्होंने यूनिसेफ के एक रिपोर्ट का जिक्र किया जो कहती है की corona के दौर में डिजिटल डिवाइड बढ़ा है.

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कोरोना संकट के बीच स्कूल खोलने की उठ रही है मांग (तस्वीर-PTI)
कोरोना संकट के बीच स्कूल खोलने की उठ रही है मांग (तस्वीर-PTI)

देश में बच्चों के वैक्सीनेशन पर लगातार काम चल रहा है. सरकार समय-समय पर इसको लेकर देश की जनता को अपडेट भी करती रहती है. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि अगस्त तक बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. वहीं WHO और ICMR की ओर से अगस्त में तीसरी लहर को लेकर चेतावनी भी दी जा रही है. बावजूद इसके लगभग सभी राज्यों में अनलॉक हो चुका है. लेकिन हम इस बात को भी झुठला नहीं सकते कि कोरोना महामारी में जो चीज़ सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई है, वो है शिक्षा. 

मार्च 2020 से ही लगातार देशभर के सभी स्कूल और कॉलेज बंद हैं. हालांकि ऑनलाइन क्लासेज़ चल तो रही हैं, पर इसके भी अलग चिंताएं हैं. पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने स्कूल्स को दोबारा खोलने की अनुमति दी थी लेकिन किसी किसी राज्य से जब टीचर्स और बच्चों के संक्रमित होने की खबर आई तो स्कूल फिर बंद हो गए जो अब तक हैं. 

अब तीसरी लहर, डेल्टा वेरिएंट के खतरे के बीच आख़िरकार दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि सरकार को अब स्कूल्स को खोलना चाहिए. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारत के बच्चों की इम्युनिटी अच्छी होती है. उन्होंने यूनिसेफ के एक रिपोर्ट का जिक्र किया जो कहती है की corona के दौर में डिजिटल डिवाइड बढ़ा है. बात सही भी है क्योंकि गांव में रहने वाले बच्चे खासकर जहां टेक्नोलॉजी उतनी एडवांस नहीं हुई है वहां बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत आती है. तो अब हमें स्कूल्स खोल देने चाहिए. अब जब अगस्त में तीसरी लहर आने वाली है, तो ऐसे में ये कितना अच्छा फैसला होगा और किन तैयारियों के साथ स्कूल खोले जाने चाहिए?

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वहीं अफगानिस्तानी सैनिकों और तालिबान के लड़ाकों के बीच चल रहे संघर्ष पर पूरी दुनिया की नज़रें टिकी हुई हैं. अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के रुखसत होते ही अफगानिस्तान का बुरा हाल है. हर तरफ गोलियों का शोर. लूट मार. कब्ज़ा जारी है. जगह जगह अफगान आर्मी तालिबानी लड़ाकों के सामने सरेंडर करने को मजबूर हैं. तालिबान का दावा है उसने अफगानिस्तान के 85 फीसदी से ज़्यादा हिस्से पर अपना कब्ज़ा कर लिया है और वो लगातार कॉम्बिंग करते हुए क़ाबुल की तरफ बढ़ रहे हैं.

ऐसे माहौल में, सूत्रों के हवाले से ख़बर ये है कि अफगानिस्तान के आर्मी चीफ जनरल वली मोहम्मद अहमदज़ई भारत आ रहे हैं. उनका ये दौरा 27 जुलाई से 29 जुलाई तक का है. उनका आना अपने आप में ही कई सवाल खड़े कर रहा है और भारत से उनकी उम्मीदों को ज़ाहिर कर रहा है. इसे इस बात से भी बल मिलता है कि अफगान आर्मी चीफ भारत आकर उच्च सुरक्षा अधिकारियों के साथ साथ सेना प्रमुख एम एम नरवणे से भी मिलेंगे.  इतना ही नहीं, संभावना तो ये भी है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी NSA अजीत डोभाल से भी मिल सकते हैं. 

वहीं अगर तालिबान की बात करें तो रिपोर्ट्स ये भी आ रही हैं कि पाकिस्तान की तालिबान से लगातार बातचीत जारी है, जो भारत के नज़रिए से सही नहीं है. लेकिन, तालिबान भारत से रिश्ते भी खराब नहीं चाहता है, जो उसके हालिया बयानों में दिखा भी है. बहरहाल, इस पूरी कवायद में किस तरह की मदद कर पाएगा भारत अफगानिस्तान की और साथ ही साथ उस सूरत में तालिबान के साथ भारत का क्या रुख़ होगा?

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गौतम अडानी की मुश्किलें थमने का नाम ले रही. सोमवार को लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी कि अडानी ग्रुप की कंपनियों पर नियमों के पालन नहीं करने का आरोप है. उन्होंने बताया कि सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI और डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस यानी DRI ये कंपनियां अडानी ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ जांच कर रही है. उनके इस बयान के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में 5% तक की गिरावट दर्ज की गई. अब क्या है इसके पीछे की कहानी, कौन से सेबी के नियमों की अनदेखी अडाणी ग्रुप ने की है?

इन सब ख़बरों पर विस्तार से बात के अलावा हेडलाइंस और आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.

20 जुलाई 2021 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

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