आज ग्यारह बजे पेश होगा देश का आम बजट. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे चौथी बार पेश करेंगी और ये मोदी सरकार का दसवां बजट होगा. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र सियासी तौर पर भी इस बजट पर राजनीतिक पंडितों की ख़ास नज़र होगी. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने वाले सरकार के दावे और कृषि कानूनों के बाद हुआ आंदोलन के असर के लिहाज़ से भी ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बजट में एग्रीकल्चर के फ्रंट पर क्या घोषणाएं होंगी.
देश का आम बजट आज....
कोरोना की मार से बेहाल अर्थव्यवस्था को एक टॉनिक की ज़रूरत तो है ही... इसलिए तमाम सेक्टर्स को उम्मीद है कि इस बजट में उनके लिए कुछ राहत होगी. बड़े पैमाने पर वैक्सीन कवरेज, सप्लाई से जुड़े रिफॉर्म्स, नियमों में ढील और एक्सपोर्ट में कुछ बढ़त को लेकर ऐलान हो सकते हैं. बजट इस बार भी पेपर लेस होगा। तो क्या संभावनाएं हैं इस बार के बजट में, इसके की-प्वाइंट्स क्या रहने वाले हैं, किन सेक्टर्स को सरकार पुश करती दिख सकती है और टेक्स पेयर्स की जेब पर क्या असर पड़ने वाला है?
नौकरी-पेशा लोगों को बजट से Income Tax में छूट की उम्मीद रहती है. आज बजट पेश होना है और कामकाजी लोग लगातार सरकार से इनकम टैक्स में छूट की मांग कर रहे हैं, उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी ये मांगें पूरी हो सकती हैं. ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार इस बार बजट में टैक्स स्लैब में बदलाव कर टैक्सपेयर्स को राहत दे सकती है. वहीं बात अगर इनकम टैक्स को लेकर होती राजनीति की करें तो बीजेपी और कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को लेकर एक दूसरे पर हमलावर रही है. बीजेपी, कांग्रेस के कार्यकाल में इनकम टैक्स की चोरी का उस पर आरोप लगाती रही है तो वहीं कांग्रेस, बीजेपी पर दो तरह के इनकम टैक्स सिस्टम लाकर टैक्स पेयर्स में बंटवारा करने की बात कहती है. लेकिन यहां अगर हम दोनों सरकार के कार्यकाल को इनकम टैक्स के जरिए समझना चाहें तो दोनों सरकार में टैक्सेशन सिस्टम एक दूसरे से कितना अलग दिखता है, आंकड़े क्या कहते हैं? और 2014 के बाद से अगर हम मोदी सरकार के कार्यकाल की बात करें, तो साल दर साल, इनकम टैक्स में किस तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं?
यूपी चुनाव- अखिलेश बनाम बीजेपी
यूपी विधानसभा चुनाव में पहली बार बतौर उम्मीदवार उतर रहे सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कल पर्चा दाखिल कर दिया. इसके साथ ही अखिलेश के सामने बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान भी कर दिया. बीजेपी करहल से इस बार कैबिनेट मंत्री और कद्दावर नेता एसपी सिंह बघेल को चुनाव में उतार रही है. कुछ दिन पहले सपा छोड़ भाजपा में गयी अखिलेश यादव के भाई की पत्नी अपर्णा यादव ने भी अखिलेश के खिलाफ लड़ने की इच्छा जताई थी. लेकिन बीजेपी ने एसपी सिंह बघेल के साथ जाने का फैसला लिया. वर्तमान में केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह का राजनीतिक सफर कई पार्टियों से हो कर गुजरा है. एक ज़माने में मुलायम के करीबी भी रह चुके हैं. ऐसे में बीजेपी की उनको अखिलेश के सामने बतौर उम्मीदवार उतारने के पीछे की रणनीति क्या है? यहां के सियासी समीकरणों के आधार पर अखिलेश यादव के लिए ये सीट कितनी आसान या मुश्किल दिखती है?
चुनावी समीकरण में सबसे प्रभावी जाति?
यूपी चुनाव में दस दिन का वक्त रह गया है. अमित शाह, जेपी नड्डा ग्राउंड पर उतर कर वोटरों से मुलाकात कर रहे हैं. कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूपी के पांच ज़िलों को वर्चुअली संबोधित किया. पूरी कोशिश है कि किसी भी तरह वोटरों को अपने पाले में लाया जाए. राजनीति के जानकार बताते हैं कि बीजेपी की राजनीति को तीन भाग में बांट कर देखा जा सकता है, पहला है ध्रवीकरण, दूसरा है सामाजिक कल्याण और तीसरा है जाति का गुणाभाग करना. हमने कुछ दिनों पहले ही आज का दिन में बात की थी कि कैसे बीजेपी 2017 की ही तरह, इस दफा भी ओबीसी वोटर, दलित वोटर को साधने की कोशिश कर रही है और इसको लेकर जो टिकट बटवारे का कैलकुलेशन है, वो पार्टी बड़ा सोच समझ कर रही है. खैर, इसमे सफलता कितनी मिलती है वो तो 10 मार्च को पता चलेगा, लेकिन अगर इस दफा यूपी में बीजेपी के स्ट्रैटजी की बात करें तो वो अब तक कैसा दिख रहा है, किन बिंदुओं पर बीजेपी फोकस कर रही है? क्या विपक्ष सरकार को रोजगार, महंगाई जैसे कई मुद्दों पर घेर कर यूपी चुनाव में कोई फ़र्क़ पैदा कर सकता है?
इन ख़बरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताज़ा हेडलाइंस, देश-विदेश के अख़बारों से सुर्खियां, आज के इतिहास की अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ