भारत में बुजुर्गों को लेकर एक चौंकाने वाली स्टडी सामने आई है. इस स्टडी में सामने आया है कि भारत में 40 फीसदी बुजुर्ग ऐसे हैं, जो बुढ़ापे में भी नौकरी करना चाहते हैं. वहीं, 10 फीसदी बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्होंने अपने साथ मारपीट होने की बात मानी है.
ये स्टडी HelpAge India ने की है. इस स्टडी के जरिए भारत में बुजुर्गों के हालात को समझने की कोशिश की है. इस स्टडी में 22 शहरों के 4,399 बुजुर्ग और 2,200 नौजवानों को शामिल किया गया था. स्टडी में सामने आया कि 40% बुजुर्ग चाहते हैं कि वो जब तक संभव हो तब तक नौकरी कर सकें.
स्टडी के मुताबिक, 59 फीसदी बुजुर्गों को लगता है कि समाज में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार आम बात है. 10% बुजुर्गों ने अपने साथ दुर्व्यवहार होने की बात कबूल की है. 36% बुजुर्गों ने अपने रिश्तेदारों, 35% ने अपने बेटों और 21% ने अपनी बहुओं से प्रताड़ित होने की बात मानी है.
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वहीं, 57% ने अपने साथ अनादर होने की बात मानी है. 38% ने अपने साथ मौखिक दुर्व्यवहार, 33% ने नजरअंदाजी, 24% ने आर्थिक शोषण और 13% ने शारीरिक हिंसा का शिकार होने की बात कही है. शारीरिक हिंसा यानी उन्होंने या तो थप्पड़ खाया है या उनके साथ मारपीट हुई है.
राजधानी दिल्ली में हालत और खराब है. दिल्ली के 74 फीसदी बुजुर्गों को लगता है कि बुजुर्गों के साथ गलत बर्ताव होता रहता है, जबकि 12 फीसदी खुद पीड़ित थे. दिल्ली में 35% बुजुर्ग अपने बेटों और 44% अपनी बहुओं के दुर्व्यवहार का सामना करते हैं.
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राष्ट्रीय स्तर पर 47 फीसदी बुजुर्गों ने बताया कि दुर्व्यवहार के चलते उन्होंने अपने परिवार से बात करना बंद कर दिया. वहीं, दिल्ली में ऐसे 83 फीसदी बुजुर्ग थे, जिन्होंने परिवार से बात करना बंद कर दिया. राष्ट्रीय स्तर पर 47 फीसदी बुजुर्ग अपने खर्चे के लिए परिवार पर निर्भर थे. वहीं, जब बुजुर्गों से पूछा गया कि उन्हें परिवार से ठीकठाक खर्चा मिलता है या नहीं? तो 52% ने कहा कि उन्हें परिवार से जो पैसा मिलता है, वो बहुत कम है.
स्टडी के मुताबिक, 36 फीसदी बुजुर्ग अब भी काम करने की इच्छा रखते हैं, जबकि 40 फीसदी ऐसे थे जिन्होंने कहा कि वो जब तक संभव हो तब तक नौकरी करना चाहते हैं. वहीं, 61 फीसदी ने कहा कि बुजुर्गों के लिए रोजगार के अवसर नहीं हैं.
HelpAge India की पॉलिसी एंड रिसर्च हेड अनुपमा दत्ता ने न्यूज एजेंसी से कहा कि अब समय आ गया है कि बुजुर्गों की देखभाल के लिए काम किया जाए. उन्होंने कहा कि नौकरी देने वालों को उम्र का चश्मा उतारना चाहिए और बुजुर्गों को अपनी योग्यता साबित करने का मौका देना चाहिए.