भारतीय रेलवे (Indian Railway) में रोजाना लाखों लोग सफर करते हैं. क्या अपने कभी सफर के दौरान सोचा है कि ट्रेन की पटरी के नीचे यानी रेलवे ट्रैक के बीच पत्थर क्यों बिछाए जाते हैं? ट्रैक के बीच में सीमेंट की आयताकार सिल्लियों का प्रयोग किया जाता है, जिसे 'स्लीपर्स' कहा जाता है.
इन स्लीपर्स के नीचे पत्थर यानी गिट्टी होती हैं जिसे बलास्ट कहते हैं. बलास्ट के नीचे दो लेयर में अलग तरह की मिट्टी होती है और इन सबके नीचे होती है जमीन.
रेल की पटरियों के बीच छोटे-छोटे पत्थर बिछाने का उद्देश्य लकड़ी के पटरों या सीमेंट की सिल्लियों को अपने स्थान पर मजबूती के साथ स्थिर रखना है ताकि ये सिल्लियां रेलवे ट्रैक को मजबूती के साथ पकड़े रहे.
जब ट्रैक पर ट्रेन चलती है तो कम्पन्न पैदा होता है और इस कारण पटरियों के फैलने की संभावना बढ़ जाती है तो कंपन्न कम करने के लिए और पटरियों को फैलने से बचाने के लिए ट्रैक पर पत्थर बिछाए जाते हैं.
लोहे से बनी एक ट्रेन का वजन बहुत होता है. ऐसे में ट्रेन का भार ट्रैक पर बिछी पटरियों पर ही होता है. भारी वजन के चलते कंक्रीट के बने स्लीपर अपनी जगह से न हिले इसलिए ट्रैक पर नुकीले पत्थर बिछाए जाते हैं.