महाराष्ट्र की राजनीति में 20 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर साथ आए हैं. यह एकजुटता महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने के सरकार के आदेश के विरोध में हुई. बाद में सरकार ने 17 जून को संशोधित आदेश जारी कर हिंदी को वैकल्पिक बना दिया और 5 जुलाई को प्रदर्शन के एलान से पहले आदेश वापस ले लिया. इस घटनाक्रम को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह मराठी अस्मिता का जज्बा है या सियासी मजबूरी.