नशे में धुत्त होकर कोई अपनी कार के पहियों तले कुचल दो-दो लोगों की जान ले ले और बदले में ऐसा करने के आरोपी को अदालत महज़ एक निबंध लिखने और 15 दिनों तक ट्रैफिक वॉलेंटियर बनने की शर्त पर सिर्फ चंद घंटों में जमानत दे दे, तो इसे आप क्या कहेंगे? पुणे की सड़कों पर 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 3 करोड़ की पोर्श कार दौड़ा कर दो लोगों की जिंदगी छीनने वाले नाबालिग रईसज़ादे की कहानी कुछ ऐसी है. वो कहानी जिसने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को लेकर लोगों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है.