महाराष्ट्र में नई सरकार के मंत्रियों के लिए बंगलों का आवंटन शुरू हो गया है. मालाबार हिल में स्थित रामटेक बंगले को किसी ने भी लेने से इनकार कर दिया है क्योंकि इसे 'मनहूस बंगला' माना जाता है. सूची के अनुसार राजस्व मंत्री चन्द्रशेखर बावनकुले, जो राज्य भाजपा प्रमुख भी हैं, को रामटेक बंगला आवंटित किया गया है.
बंगले में रहने को तैयार पंकजा मुंडे
सूत्र बताते हैं कि बावनकुले इस बंगले को कैबिनेट की एक अन्य मंत्री पंकजा मुंडे से बदलने की कोशिश कर रहे हैं. यूं तो रामटेक बंगला बेहद प्राइम लोकेशन पर और सी फेसिंग है लेकिन कहा जाता है कि इस बंगले में रहने वाला मंत्री या तो भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस जाता है या फिर दोबारा मंत्री नहीं बन पाता.
सूत्रों की मानें तो पंकजा मुंडे रामटेक बंगला लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि उनके पिता गोपीनाथ मुंडे जब मंत्री थे तो इसी बंगले में रहते थे. इसलिए कहा जाता है कि पंकजा का इस बंगले से एक इमोश्नल कनेक्शन है.
रामटेक बंगले का इतिहास
छगन भुजबल: भुजबल को यह बंगला कांग्रेस-नेशनलिस्ट गठबंधन सरकार के दौरान मिला था. उस समय तेलगी कांड काफी चर्चित हुआ था. भुजबल का नाम स्टांप पेपर घोटाले में आया था जिसके चलते उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
एकनाथ खडसे: कृषि मंत्री एकनाथ खडसे को 2014 में बीजेपी-शिवसेना सरकार के दौरान रामटेक बंगला मिला था. लेकिन उस समय उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था. इसके चलते उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
फिर छगन भुजबल: 2019 में राज्य में महा विकास अघाड़ी सरकार सत्ता में आई. उस सरकार में भुजबल को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय मिला. लेकिन एमवीए सरकार, जिसमें भुजबल मंत्री थे, ढाई साल में ही गिर गई.
दीपक केसरकर: पिछली महायुति सरकार में मंत्री रहे दीपक केसरकर के पास यह बंगला था. विधानसभा चुनाव में जहां महायुति को भारी सफलता मिली है, वहीं केसरकर को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा है. उनका नाम फडणवीस कैबिनेट से काट दिया गया.