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TISS के दो छात्रों को राजद्रोह के केस में कोर्ट से अंतरिम राहत

आजाद मैदान पुलिस ने 3 फरवरी को चूडावाला और 50 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. अधिकतर आरोपी विद्यार्थी थे जिन्होंने कथित तौर पर मार्च में हिस्सा लिया और वीडियो में वो नारे लगाते दिखे.

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3 फरवरी को चूडावाला पर हुई थी एफआईआर दर्ज
3 फरवरी को चूडावाला पर हुई थी एफआईआर दर्ज

  • 1 फरवरी को मुंबई में LGBTQ परेड के दौरान लगे थे नारे
  • छात्रों पर शरजील इमाम के समर्थन में नारे लगाने का आरोप

मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के दो छात्रों को सेशंस कोर्ट ने बुधवार को अंतरिम राहत दी. इन पर नारे लगाने के लिए 'राजद्रोह' का केस दर्ज है. इन दोनों छात्रों की उम्र 22 और 24 वर्ष है. ये उन 51 लोगों में शामिल हैं जिन पर 1 फरवरी को JNU के छात्र शरजील इमाम के समर्थन में नारे लगाने की वजह से 'राजद्रोह' के आरोप लगाए गए हैं. ये नारे आजाद मैदान में LGBTQ रैली के दौरान लगाए गए थे.    

इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने 22 वर्षीय उर्वशी चूडावाला को इसी केस में अंतरिम राहत दी थी. चूडावाला ने बुधवार को आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में आकर अपना बयान दर्ज कराया. चूडावाला ने पहले सेशंस कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी जो नामंजूर हो गई थी.

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सेशंस में दोनों छात्रों की पैरवी करने वाले वकील ने उनकी अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की. इस वकील ने कहा कि दोनों छात्रों ने कोई नारे नहीं लगाए थे बल्कि वो वहां सिर्फ ध्वज लहरा रहे थे. वकील ने कोर्ट को ये भी बताया कि दोनों छात्र केरल से हैं और हिन्दी अच्छी नहीं समझते, इसलिए उन्हें कई नारों का मतलब भी नहीं पता था जो वहां लगाए जा रहे थे.

आजाद मैदान पुलिस ने 3 फरवरी को चूडावाला और 50 अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. अधिकतर आरोपी विद्यार्थी थे जिन्होंने कथित तौर पर मार्च में हिस्सा लिया और वीडियो में वो नारे लगाते दिखे. उन पर आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) का केस दर्ज किया गया. इसमें अधिकतम उम्र कैद का प्रावधान है. मुंबई पुलिस ने ये आरोप लगाने से पहले विधिक राय ली थी.

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इस बीच चूडावाला को गुरुवार को भी आगे पूछताछ के लिए आज़ाद मैदान पुलिस स्टेशन बुलाया गया है. पुलिस जांच में पता लगाने की कोशिश कर रही है कि किन परिस्थितियों में 1 फरवरी को इस तरह के नारे लगाए गए थे.

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