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जाट आरक्षण के बाद अब खत्म हो सकता है मराठा आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जाट आरक्षण खत्म कर दिया. कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने ओबीसी कोटे में जाटों को आरक्षण दिया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर भी संकट के बादल दिखाई देने लगे हैं. दरअसल, कोर्ट ने जिन आधार पर जाटों के रिजर्वेशन को खारिज किया है, वही महाराष्ट्र में मराठों के रिजर्वेशन मामले में भी लागू होते हैं.

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महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जाट आरक्षण खत्म कर दिया. कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने ओबीसी कोटे में जाटों को आरक्षण दिया था. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर भी संकट के बादल दिखाई देने लगे हैं. दरअसल, कोर्ट ने जिन आधार पर जाटों के रिजर्वेशन को खारिज किया है, वही महाराष्ट्र में मराठों के रिजर्वेशन मामले में भी लागू होते हैं. खास बात यह है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी की पिछली सरकार और मौजूदा बीजेपी-शिवसेना सरकार दोनों ही मराठा समुदाय को आरक्षण की पक्षधर है.

गौरतलब है कि मंगलवार को कोर्ट ने जाट आरक्षण मामले को खारिज करते हुए कहा है कि आरक्षण के लिए जाति ही अकेली अर्हता नहीं हो सकती. कोर्ट ने कहा कि जाति का पिछड़ापन आर्थिक और सामाजिक दर्जे पर निर्भर करता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, 'जाट जैसी राजनीतिक रूप से संगठित जातियों को ओबीसी लिस्ट में जगह देना दूसरी पिछड़ी जातियों के लिए सही नहीं होगा.'

जाटों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मराठों के मामले में अहम साबित हो सकता है, क्योंकि दोनों ही जातियां एक जैसी हैं. मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती मिली हुई है. याचिका दाखिल करने वाले पूर्व पत्रकार केतन तरोडकर कहते हैं, 'हमने हाई कोर्ट के सामने पेश दलील में कहा है कि मराठा समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण पाने का हकदार नहीं है, क्योंकि यह जाति राजनीतिक रूप से ताकतवर है.'

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बता दें कि हाई कोर्ट ने मराठों को आरक्षण का फैसला रोक दिया था, लेकिन बीजेपी और शिवसेना सरकार ने इस मामले में आगे बढ़कर इससे संबंधित ऑर्डिनेंस पास कर इसे कानून का रूप दे दिया. तिरोडकर ने पिछले साल दाखिल एक पीआईएल में बताया था कि राज्य के गठन के बाद 20 मुख्यमंत्रियों में से 17 मराठा समुदाय के रहे हैं और तीन चौथाई चीनी मिलें और शैक्षणिक संस्थाएं मराठा समुदाय के लोग चला रहे हैं.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में जाट आरक्षण को यह कहकर खारिज किया गया कि अगर पहले गलती से किसी वर्ग को इसमें शामिल कर लिया गया था तो जरूरी नहीं कि उसके आधार पर उसको शामिल रहने दिया जाए. जिस आधार पर मराठों को रिजर्वेशन दिया गया है उसमें से एक में यह दावा किया गया है कि मराठों की उपजाति कुंबी समुदाय को पहले भी बेरोकटोक ओबीसी में शामिल किया गया है.

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