संसद का शीतकालीन सत्र इस बार ऐतिहासिक है. ऊपरी सदन राज्यसभा में सोमवार को 250वें सत्र की शुरुआत हुई. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि इन 250 सत्रों के बीच जो यात्रा चली है, उनको नमन करता हूं. अपने संबोधन में आखिर में प्रधानमंत्री ने कुछ ऐसा कहा कि राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई.
दरअसल, 250वें सत्र के दौरान जब प्रधानमंत्री संबोधित कर रहे थे, तब उन्होंने शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की तारीफ की. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें सदन में रुकावटों की बजाय संवाद का रास्ता चुनना चाहिए, एनसीपी-बीजेडी की विशेषता है कि दोनों ने तय किया है कि वो लोग सदन के वेल में नहीं जाएंगे.’
PM Modi in Rajya Sabha: Today I want to appreciate two parties, NCP and BJD. These parties have strictly adhered to parliamentary norms. They have never gone into the well. Yet, they have raised their points very effectively. Other parties including mine can learn from them. pic.twitter.com/TXvUUOWJin
— ANI (@ANI) November 18, 2019
पीएम मोदी ने कहा कि हम सभी राजनीतिक दलों को सीखना होगा कि ये नियम का पालन करने के बावजूद भी इनके विकास में कोई कमी आई है, हमारी पार्टी (BJP) को भी ये सीखना चाहिए. हमें इन पार्टियों का धन्यवाद करना चाहिए. जब हम विपक्ष में थे, तो भी ये काम करते थे लेकिन इन दो पार्टियों ने इस उदाहरण को तय किया है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में जिस तरह सरकार गठन को लेकर कशमकश चल रही है, उस बीच पीएम मोदी के द्वारा NCP की तारीफ करना एक संदेश देता है. बीजेपी का साथ छोड़ शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ आने को तैयार है लेकिन अभी तक सरकार गठन पर कोई फाइनल तस्वीर साफ नहीं दिख रही है.
बता दें कि आज ही शरद पवार महाराष्ट्र से दिल्ली आए हैं, सुबह उन्होंने राज्यसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया. और शाम को वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे, जहां महाराष्ट्र में सरकार गठन पर चर्चा होगी. इससे पहले शरद पवार ने बयान दिया था कि बीजेपी-शिवसेना एक साथ चुनाव लड़े थे, उन्हें अपना रास्ता तय करें.
‘संविधान निर्माताओं की सुविधा ही ऊपरी सदन’
पीएम ने कहा कि देश में जो लोग लेखन के शौकीन हैं कि 250 सत्रों के दौरान विचार यात्रा भी चली है. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं के बीच में चर्चा चल रही थी कि सदन एक हो या दो हो, लेकिन अनुभव कहता है कि ये सुविधा कितनी बढ़िया है. अगर निचला सदन जमीन से जुड़ा हुआ है, तो ऊपरी सदन दूर तक देख सकता है.
राज्यसभा में प्रधानमंत्री बोले कि ऊपर वाला दूर तक देख सकता है. इस सदन में इतिहास बनाया है और बनते हुए देखा है, कई गणमान्य दिग्गज महापुरुषों ने इस सदन की अगुवाई की है. उन्होंने कहा कि सदन की विशेषता है कि उसका स्थायित्व और उसकी विविधता.
‘बाबा साहेब ने इस सदन से की शुरुआत’
पीएम बोले कि राज्यसभा कभी भंग नहीं हुई है लेकिन ना होगी, यहां राज्यों का प्रतिनिधित्व दिखता है. हर किसी के लिए चुनावी अखाड़ा पार करना आसान नहीं होता है, लेकिन देशहित में उनकी उपयोगिता कम नहीं होती है. ये ऐसी जगह है जहां पर ऐसे लोगों का भी स्वागत होता है. देश ने देखा है कि वैज्ञानिक, कला, लेखक समेत कई गणमान्य यहां आए हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बाबा साहेब अंबेडकर हैं, किसी कारण से उन्हें लोकसभा में पहुंचने नहीं दिया लेकिन वह राज्यसभा में आए.
राज्यसभा में प्रधानमंत्री बोले कि लंबे समय तक विपक्ष कम था, लेकिन आज ऐसा कम ही देखने को मिलता था. पीएम बोले कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन ने कहा था कि हमारा विचार, व्यवहार और सोच ही दो संसदीय वाली हमारी संसदीय प्रणाली के औचित्य को साबित करेगी. संविधान का हिस्सा बनी इस सदन की परीक्षा हमारे काम से होगी, हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने सोच से देश को इस सदन का औचित्य साबित करें.
PM Modi: In 2003, Atal ji had remarked that Rajya Sabha may be the second house but it should not be called a secondary house. Today, I agree with the thoughts of Atal ji and add that the Rajya Sabha must be an active supportive house for national development pic.twitter.com/dO4mS482qi
— ANI (@ANI) November 18, 2019
पिछले पांच साल में किया शानदार काम
पीएम मोदी बोले कि अगर पिछले 5 साल को देखें तो तीन तलाक का कानून इसी सदन ने पास किया, इसी सदन ने सामान्य वर्ग के गरीब परिवार को आरक्षण देने का निर्णय किया, GST, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का काम जो वादा 1964 से था, इस सदन ने पहले इसे हटाया. संविधान में जब 370 आई तो उसे पेश करने वाले इसी सदन के नेता थे और इसी सदन ने उस धारा को हटाया.
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों का कल्याण करना हमारा काम है, संघीय ढांचे देश के विकास के लिए सबसे अहम शब्द है. केंद्र सरकार जो नीतियां तैयार करती हैं, उन्हें राज्य सरकार किस प्रकार आगे बढ़ाएगी वो ये ही सदन तय करता है.
'सदन नहीं बनेगा कभी सेकेंडरी हाउस'
जब इस सदन के 200 सत्र हुए, तब अटल बिहारी वाजपेयी ने एक संबोधन दिया था. उन्होंने कहा था कि हमारे संसदीय लोकतंत्र की शक्ति बढ़ाने के लिए दूसरा चेंबर मौजूद है, इसलिए इसके सेकंडरी हाउस बनाने की गलती ना करें.
पीएम ने कहा कि ये सदन कभी सेकेंडरी हाउस नहीं, बल्कि सपोर्टिव हाउस बने रहना चाहिए. अटल जी ने अपने संबोधन में कहा था कि एक नदी का प्रवाह तभी तक अच्छा रहता है, जबतक उसके किनारे मजबूत होते हैं. भारत की संसदीय प्रवाह के लोकसभा-राज्यसभा दो किनारे हैं. अगर ये मजबूत रहेंगे तो लोकतंत्र फलेगा-फूलेगा.
पीएम मोदी बोले कि राज्यसभा चेक एंड बैलेंस का विचार के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके बीच अंतर बनाए रखना जरूरी है. बैलेंस और ब्लॉकिंग के बीच अंतर रखना जरूरी है, सदन तीखे विवाद के लिए होना चाहिए.