scorecardresearch
 

महाराष्ट्र में BJP के ओबीसी नेता किनारे, अब पंकजा मुंडे की राहें जुदा?

गोपीनाथ मुंडे, एकनाथ खडसे और विनोद तावड़े की वजह से बीजेपी को ओबीसी समुदाय में पैठ बनाने में कामयाबी मिली. लेकिन बदकिस्मती से 2014 में एक कार हादसे में उनका निधन हो गया. इसके बाद उनकी बेटी पंकजा और प्रीतम ने उनकी विरासत को संभाला. 2014 में महाराष्ट्र में जब बीजेपी ने सरकार बनाई तो एकनाथ खड़से और विनोद तावड़े भी मंत्री बने.

Advertisement
X
महाराष्ट्र बीजेपी की नेता पंकजा मुंडे (फोटो-Twitter)
महाराष्ट्र बीजेपी की नेता पंकजा मुंडे (फोटो-Twitter)

  • महाराष्ट्र में किनारे लग रहे BJP के OBC नेता
  • राज्य में 40 फीसदी है OBC समुदाय की आबादी
  • सरकार बनाने के लिए ओबीसी का समर्थन जरूरी

महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने के बाद बीजेपी के अंदर में ही बगावत के स्वर सुनाई पड़ रहे हैं. महाराष्ट्र बीजेपी के कद्दावर नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की राजनीतिक विरासत संभाल रहीं पंकजा ने महाराष्ट्र में शक्ति प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है. उन्होंने 12 दिसंबर को अपने पिता गोपीनाथ मुंडे की जयंती पर अपने समर्थकों को जुटने का आह्वान किया है. माना जा रहा है कि पंकजा इस जुटान के बहाने अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना चाहती हैं.

विधानसभा हारीं, विधानपरिषद की तैयारी

पंकजा मुंडे परली सीट से 2019 का चुनाव हार गई थीं. उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने उन्हें लगभग 30 हजार वोटों से हराया था. इस हार के बाद पंकजा न तो विधान सभा की सदस्य हैं और न ही विधान परिषद की, लिहाजा सूबे की राजनीति में अपनी उपयोगिता कायम रखने के लिए उनके लिए महाराष्ट्र विधान मंडल में जाना जरूरी है. विधान परिषद में अपनी एंट्री सुनिश्चित करने के लिए भीड़ जुटाकर पंकजा पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाना चाहती हैं.

Advertisement

देवेंद्र से नहीं पटी

दरअसल महाराष्ट्र की सियासत में पंकजा मुंडे की पूर्व सीएम फडणवीस से पटी नहीं. पंकजा शीर्ष नेतृत्व को कई बार यह बता चुकी हैं कि वह चुनाव हारी नहीं हैं, बल्कि उन्हें चुनाव हरवाया गया है. उन्होंने कथित तौर पर पार्टी नेतृत्व को सबूत भी सौंपे हैं. अगर राज्य में बीजेपी फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बना लेती तो बात अलग थी, लेकिन एक बार जब फडणवीस सरकार बनाने में असफल रहे तो उसके बाद पंकजा मुंडे मुखर हो चुकी हैं और इसी रणनीति के तहत वे आवाज उठा रही हैं.

महाराष्ट्र की राजनीति का OBC फैक्टर

पंकजा मुंडे इस वक्त महाराष्ट्र की राजनीति का जाना-माना ओबीसी चेहरा हैं. उन्हें अपने पिता गोपीनाथ मुंडे की राजनीतिक विरासत मिली है. महाराष्ट्र में ओबीसी बीजेपी की राजनीति का अहम हिस्सा रहे हैं. राज्य में ओबीसी की जनसंख्या पूरी आबादी का लगभग आधा हिस्सा है. इस लिहाज से वे किसी भी पार्टी के लिए अहम वोट बैंक हैं. इस ब्लॉक में धनगर, घुमंतु, कुनबी, वंजारी, तेली, माली, लोहार और कुर्मी जैसी जातियां शामिल थीं. एक वक्त था जब महाराष्ट्र की राजनीति में तीन ओबीसी नेता बीजेपी के साथ थे. ये नेता थे गोपीनाथ मुंडे, एकनाथ खडसे और विनोद तावड़े.

OBC का MADHAV फॉर्मूला

Advertisement

महाराष्ट्र की राजनीति में इन नेताओं का प्रभाव जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि बीजेपी ने ओबीसी समुदाय में अपनी पैठ किस तरह बनाई. दरअसल गोपीनाथ मुंडे और प्रमोद महाजन की जोड़ी ने इस समुदाय को बीजेपी के साथ जोड़ने में कड़ी मेहनत की. इसके लिए उन्होंने MADHAV फॉर्मूला अपनाया. MADHAV का मतलब है MA से माली, DHA से धनगर और V से वंजारी. गोपीनाथ मुंडे ओबीसी कैटेगरी में आने वाली वंजारी समुदाय से आते हैं और इनकी अपने समाज में अच्छी-खासी पकड़ थी. इस लिहाज से पंकजा को भी ये विरासत आसानी से मिल गई. हालांकि इस चुनाव में उनका ये जनाधार खिसकता दिखा.

नहीं रहे मुंडे, खड़से और तावड़े का प्रभाव कम

गोपीनाथ मुंडे, एकनाथ खडसे और विनोद तावड़े की वजह से बीजेपी को ओबीसी समुदाय में पैठ बनाने में कामयाबी मिली. लेकिन बदकिस्मती से 2014 में एक कार हादसे में मुंडे का  निधन हो गया. इसके बाद उनकी बेटी पंकजा और प्रीतम ने उनकी विरासत को संभाला. 2014 में महाराष्ट्र में जब बीजेपी ने सरकार बनाई तो एकनाथ खड़से और विनोद तावड़े भी मंत्री बने. एकनाथ खड़से पर मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगा और उन्हें मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा. इस चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया, हालांकि उनकी बेटी को पार्टी ने जरूर उम्मीदवार बनाया था.

Advertisement

विनोद तावड़े राज्य के शिक्षा मंत्री थे. कांग्रेस ने उनपर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और इसने चुनाव में उनकी दावेदारी कमजोर कर दी. विनोद तावड़े पर कांग्रेस फर्जी डिग्री हासिल करने से लेकर, ठेका दिलवाने में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुकी है. इन्हीं आरोपों को आधार बनाकर पार्टी ने तावड़े का टिकट काट दिया.

पंकजा के लिए आगे की राह

महाराष्ट्र की राजनीति के मौजूदा परिदृश्य पर नजर डालें तो बीजेपी के पास ओबीसी कैटेगरी का कोई बड़ा नेता नहीं दिखता है. लेकिन बीजेपी ओबीसी के इतने बड़े वोटबैंक को बिना नेतृत्व के नहीं छोड़ सकती है. लिहाजा पंकजा के लिए मैदान खाली बचता है. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद बीजेपी पंकजा को बड़ा पद दे सकती है. अपने समर्थकों को आह्वान कर पंकजा मुंडे इसी के लिए दबाव बनाती दिख रही हैं.

Advertisement
Advertisement