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'पत्नी से ज्यादा फाइलों से प्यार करते हैं सरकारी अधिकारी', आखिर नितिन गडकरी ने क्यों कहा ऐसा?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में सरकारी अधिकारियों पर तंज़ कसते हुए कहा कि वे अपनी पत्नी से भी ज्यादा फाइलों से प्यार करते हैं, जिससे निर्णय लेने में देरी होती है. उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे फाइलों को न रोकें, बल्कि मंजूर या नामंजूर, कोई तो निर्णय लें. गडकरी ने जोर दिया कि निर्णय में देरी से ठेकेदारों और उद्यमियों को भारी नुकसान होता है, जो कर्ज लेकर काम करते हैं.

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नितिन गडकरी ने कहा कि इससे निर्णय में देरी से नुकसान होता है. (File Photo: ITG)
नितिन गडकरी ने कहा कि इससे निर्णय में देरी से नुकसान होता है. (File Photo: ITG)

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर अपने चिर-परिचित अंदाज में सरकारी अधिकारियों को चुटीली नसीहत दी है. नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, गडकरी ने मजाकिया लहजे में कहा कि सरकारी अधिकारी फाइलों से अपनी पत्नी से भी ज्यादा प्यार करते हैं, जिस कारण वे फाइलों को अनावश्यक रूप से रोककर रखते हैं.

'पत्नी से ज़्यादा फाइल से प्यार क्यों?'
राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने अधिकारियों से अपील की कि वे फाइलों को दबाकर न रखें और समय पर निर्णय लें.

एक पुरानी घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, "एक बार मैंने एक अधिकारी से पूछा, आप अपनी पत्नी से प्यार करते हैं, ठीक है, लेकिन फाइलों से उससे भी ज्यादा क्यों करते हैं? एक बार फाइल आती है तो उसे दबाकर रख देते हैं. अगर मंजूर करनी है तो करें, ना मंजूर करनी है तो करें, लेकिन कुछ तो निर्णय लें. फाइलों को यूं ही रोक कर रखने से क्या फायदा."

गडकरी ने आगे कहा कि उन्होंने एक बड़े अधिकारी से यहां तक कह दिया था कि वह 'अमर प्रेम' के साक्षात्कार हैं, क्योंकि वह अपनी पत्नी से भी कई गुना ज्यादा फाइल से प्यार करते हैं. उनके इस तंज के बाद अधिकारी को अपनी गलती का एहसास हुआ.

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निर्णय में देरी से होता है नुकसान
केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को यह भी याद दिलाया कि जहां सरकारी कर्मचारियों को हर महीने की 1 तारीख को वेतन मिल जाता है, वहीं ठेकेदार और उद्योजक कर्ज लेकर काम करते हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इन उद्यमियों के दर्द को समझना चाहिए जो वर्षों तक भुगतान या मंजूरी के लिए परेशान रहते हैं.

गडकरी ने स्पष्ट निर्देश दिए, "अगर कोई काम नियम में फिट नहीं बैठता तो सीधे ना कहें." "लेकिन निर्णय तो लें." "टैक्स वसूलिए, छापे मारिए, लेकिन निर्णय लेना मत भूलिए."

उन्होंने जोर देकर कहा कि निर्णय में देरी से बहुत नुकसान होता है. गडकरी का यह बयान सरकारी कामकाज में तेजी लाने और लालफीताशाही को कम करने की दिशा में एक स्पष्ट संदेश था.

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