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55 करोड़ रुपए के केनरा बैंक धोखाधड़ी मामले में मेहुल चोकसी के खिलाफ सुनवाई पर रोक

मुंबई की एक सीबीआई कोर्ट ने 55 करोड़ रुपए के केनरा बैंक धोखाधड़ी मामले में मेहुल चोकसी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट और प्रक्रिया जारी करने पर रोक लगा दी. कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश में तर्क की कमी का हवाला देते हुए सीबीआई को जवाब दाखिल करने के लिए 8 अगस्त तक का वक्त दिया है.

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मेहुल चोकसी के खिलाफ सुनवाई पर रोक (Photo: ANI)
मेहुल चोकसी के खिलाफ सुनवाई पर रोक (Photo: ANI)

मुंबई (Mumbai) की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने शुक्रवार को केनरा बैंक से जुड़े 55 करोड़ रुपए के लोन धोखाधड़ी मामले में फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के खिलाफ प्रक्रिया और गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी करने पर रोक लगा दी है. 

सीबीआई की बैंक सिक्योरिटीज एंड फ्रॉड ब्रांच (BSFB) द्वारा 12 जुलाई, 2022 को दर्ज किया गया यह मामला केनरा बैंक के चीफ जनरल मैनेजर पी. संतोष द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर आधारित था. इसमें चोकसी, उसकी कंपनियों, सहयोगियों और कुछ अज्ञात लोक सेवकों द्वारा केनरा बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के नेतृत्व वाले एक संघ के तहत बेजेल ज्वैलरी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को स्वीकृत कार्यशील पूंजी सुविधाएं देने में धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था.

निचली अदालत के आदेश को चुनौती

इस साल अप्रैल में, एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने चोकसी के खिलाफ एक नया गैर-जमानती वारंट जारी किया था. मौजूदा वक्त में बेल्जियम में कैद चोकसी ने अधिवक्ता विजय अग्रवाल, राहुल अग्रवाल और जैस्मीन पुरानी के जरिए इस आदेश को चुनौती दी. उनके सह-आरोपी, गीतांजलि ज्वेल्स के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक, अनियाथ शिवरामन नायर ने भी एक आपराधिक रिवीजन याचिका दायर की थी.

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दोनों अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व कर रहे विजय अग्रवाल ने तर्क दिया कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 'प्रोसीजर जारी करने का एक रहस्यमय आदेश' पारित किया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने बिना सोचे-समझे प्रोसीजर जारी कर दिया और यह सीआरपीसी की धारा 190 और 204 का उल्लंघन है. अग्रवाल ने आगे कहा, "यह आदेश बिना किसी तर्क के है, इसलिए इस पर रोक लगाई जाए."

सीबीआई के लोक अभियोजक विक्रम सिंह ने अंतरिम राहत की गुजारिश का विरोध किया.

सीबीआई कोर्ट ने क्या कहा?

स्पेशल जज जेपी दरेकर ने रिकॉर्ड और मजिस्ट्रेट के आदेश की समीक्षा करने के बाद पाया कि निचली अदालत तर्कसंगत आदेश जारी करने में फेल रही. जज ने कहा, "हालांकि निचली अदालत ने पाया है कि अभियुक्तों के खिलाफ प्रक्रिया जारी करने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त मैटेरियल उपलब्ध है, लेकिन आदेश में पूरी तरह से कारण नहीं दिए गए हैं."

जज दरेकर ने सुप्रीम कोर्ट के एक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा, "पहली नजर में आरोपित आदेश यह नहीं दर्शाता है कि निचली अदालत ने आरोप-पत्र में मौजूद मैटेरियल के आधार पर कोई राय बनाई थी."

यह भी पढ़ें: SEBI ने मेहुल चोकसी के खिलाफ जारी किया कुर्की का आदेश, जुर्माना न भरने पर एक्शन

अदालत ने तर्कपूर्ण आदेशों के महत्व पर और ज़ोर दिया और कहा, "ये कारण न सिर्फ अदालत के समक्ष वादियों के लिए, बल्कि उच्च न्यायालयों के लिए भी ज़रूरी हैं, जिससे वे निचली अदालत की विचार प्रक्रिया को समझ सकें. अदालत कम से कम उन कारणों की संक्षिप्त रूपरेखा की अपेक्षा करती है, जिनकी वजह से निचली अदालत ने मामले में समन जारी करने का फैसला लिया."

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इन बयानों के मद्देनज़र, अदालत ने अगली सुनवाई तक चोकसी और नायर के खिलाफ निचली अदालत में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी. सीबीआई अदालत ने निर्देश दिया कि उसके आदेश से मजिस्ट्रेट अदालत को बताया जाए और एजेंसी को जवाब दाखिल करने के लिए 8 अगस्त तक का वक्त दिया.

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