मालेगांव 2008 ब्लास्ट केस में मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने कई गंभीर टिप्पणियां की हैं और आरोप साबित न होने के कारण कई आरोपियों को राहत दी है. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों द्वारा पेश किए गए सबूतों में गंभीर खामियां थीं.
मामले की शुरुआत उस टू-व्हीलर से हुई जिस पर बम बांधकर धमाका किया गया था. लेकिन कोर्ट ने पाया कि उस गाड़ी के इंजन और चेसिस नंबर ठीक से नहीं पढ़े जा सके. ATS ने दावा किया था कि वह बाइक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की थी, लेकिन कोर्ट ने पाया कि उन्होंने दो साल पहले ही वह गाड़ी त्याग दी थी जब वो संन्यासी बनी थीं.
एनआईए अदालत ने कई गंभीर टिप्पणियां की
आरडीएक्स के बारे में कोर्ट ने कहा कि उसके स्त्रोत, परिवहन और उपयोग को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है. आरोप था कि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने कश्मीर से आरडीएक्स लाकर नासिक में बम बनाया, लेकिन कोर्ट ने इसे साबित करने लायक साक्ष्य नहीं पाए.
ब्लास्ट के बाद घटनास्थल पर हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई और पत्थरबाजी की, जिससे मौके की शुद्धता नष्ट हो गई. पुलिस ने न कोई नक्शा बनाया, न फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा किए. एक अन्य अहम सबूत आरोपी शंकराचार्य की लैपटॉप रिकॉर्डिंग पर भी कोर्ट ने शक जताया. लैपटॉप को बिना सील किए 24 घंटे तक खुला रखा गया, जिससे उसमें छेड़छाड़ की आशंका बढ़ गई.
UAPA के तहत मंजूरी की प्रक्रिया भी अधूरी
फोन कॉल इंटरसेप्शन और UAPA के तहत मंजूरी की प्रक्रिया भी अधूरी और त्रुटिपूर्ण पाई गई. कोर्ट ने यह भी कहा कि अबिनव भारत संगठन से जुड़े फंड का कोई प्रमाण नहीं कि वो आतंकवादी गतिविधियों में खर्च हुआ.