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महाराष्ट्र में दूध आंदोलन का आज दूसरा दिन, सांसद राजू शेट्टी ने की है ये मांग

बता दें कि राजू शेट्टी ने ऐलान किया था कि 15 जुलाई की रात से महाराष्ट्र में उनकी पार्टी के कार्यकर्ता आंदोलन शुरू करेंगे. शेट्टी की मांग है कि राज्य के 2.5 लाख दूध उत्पादक किसानों को दूध का उचित दाम मिले.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन का महादूध आंदोलन सोमवार से शुरु हो गया.  सांसद राजू शेट्टी की पार्टी की मांग है  जब तक किसानों को दूध का उचित दाम नहीं मिलेगा तब तक हम लोगों तक दूध नहीं पहुंचने देंगे.  

बता दें कि राजू शेट्टी ने ऐलान किया था कि 15 जुलाई की रात से महाराष्ट्र में उनकी पार्टी के कार्यकर्ता आंदोलन शुरू करेंगे. शेट्टी की मांग है कि राज्य के 2.5 लाख दूध उत्पादक किसानों को दूध का उचित दाम मिले.

किसान नेता राजू शेट्टी के इस ऐलान के बाद स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को राज्यभर में दूध ले जाने वाले टैंकर्स को निशाना बनाया. कार्यकर्ताओं ने नागपुर अमरावती हाइवे पर दूध ले जा रहे एक टैंकर को रोककर उसके टायर को आग के हवाले कर दिया.  

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राजू शेट्टी इस महादूध आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि प्रति लीटर दूध की लागत 35 रुपये है. वहीं किसानों को 14 से 18 रुपये ही दिए जाते हैं. बाजार में गाय का  दूध 42 रुपये और भैंस का दूध 50 रुपये प्रति लीटर बेचा जा रहा है.

राजू शेट्टी ने बताया था कि वो खुद पालघर के पास गुजरात -महाराष्ट्र बॉर्डर पर गुजरात से महाराष्ट्र में आने वाले दूध टैंकर को रोकने वाले हैं . राज्य के बुलढाणा , जालना , औरंगाबाद, पुणे, नासिक , कोल्हापुर, सांगली जिलों मे दूध ले जा रहे ट्रक, टैंकर को रोककर दूध सड़क पर बहाया गया.  

इससे पहले रविवार सुबह राजू शेट्टी ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि दूध उत्पादक किसानों को दूध के लिए योग्य दाम मिले. इसके लिए वह आंदोलन करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ध्यान नहीं दे रही है इसलिए आंदोलन करना पड़ रहा है.  

राजू शेट्टी ने बताया कि 29 जून को पुणे में एक बड़ा मोर्चा निकाला गया था. कृषि अधीक्षक को निवेदन देकर बताया गया कि फिलहाल किसानो को डेरी वाले एक लीटर दूध के  लिए 14 से  18 रुपये दे रहे हैं. दूध उत्पादक किसानों को दूध के लिए पांच रुपये प्रति लीटर के हिसाब से पैसा उनके बैंक अकॉउंट में जमा करने की मांग की गई थी.  लेकिन सरकार ने इसपर कोई निर्णय नहीं लिया. इस लिए मजबूर होकर अब बड़ा और तीव्र आंदोलन हमने शुरू किया. 

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