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महाराष्ट्र: खतरे में आई मंत्री माणिकराव कोकाटे की कुर्सी, 29 साल पुराने केस में 2 साल की सजा

पूर्व मंत्री तुकाराम दिघोले ने आवास घोटाले के सिलसिले में 1995 में माणिकराव कोकाटे के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. साल 1997 में तत्कालीन उपजिलाधिकारी की शिकायत के आधार पर IPC की धारा 420, 465, 471, 47 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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माणिकराव कोकाटे
माणिकराव कोकाटे

महाराष्ट्र (Maharashtra) के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे और सुनील कोकाटे और उनके भाई सुनील कोकाटे को 2 साल कैद और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है. साल 1995 में एक मामले से जुड़े फर्जीवाड़े के खिलाफ सजा सुनाई गई है. उन पर आरोप है कि वे तत्कालीन विधायकों, सांसदों कोटे से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को फ्लैट दिलवाए. इसके साथ दस्तावेजों से छेड़छाड़ और धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है. इस सजा के बाद विधायक माणिकराव कोकाटे का मंत्री पद खतरे में आ गया है. 

पूर्व मंत्री तुकाराम दिघोले ने आवास घोटाले के सिलसिले में 1995 में माणिकराव कोकाटे के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. साल 1997 में तत्कालीन उपजिलाधिकारी की शिकायत के आधार पर IPC की धारा 420, 465, 471, 47 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

तुकाराम दिघोले की थी जांच की मांग

नासिक जिला अदालत ने करीब 29 साल बाद इस केस का फैसला सुनाया. तत्कालीन विधायक तुकाराम दिघोले ने जांच की मांग की थी और माणिकराव कोकाटे और उनके भाई सुनील कोकाटे और दो अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी.

माणिकराव कोकाटे और भाई सुनील कोकाटे आरोपी नंबर 1 और 2 थे. आरोपी नंबर 3 और 4 कोकाटे के रिश्तेदार थे. कोकाटे ने बाद में उनसे प्राप्त फ्लैट्स को अपने नाम पर ट्रांसफर कर लिया. मकान प्राप्त करने में कोकाटे ने खुद को गरीब और दुर्लभ वित्तीय साधनों वाला दिखाया था. लेकिन उसी वक्त उनके पिता कोपरगांव शुगर फैक्ट्री के निदेशक थे और वह फैक्ट्री में 100-200 टन गन्ना भेजते थे.

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कब्जे और अवैध निर्माण का आरोप

शहर के बीच में बॉयज टाउन स्कूल के पास एक इमारत में माणिकराव कोकाटे ने फर्जी दस्तावेजों के साथ एक फ्लैट प्राप्त किया था. बाद में, उन पर अन्य दो फ्लैट्स पर कब्जा करके अवैध निर्माण और अतिक्रमण का आरोप लगाया गया. कोकाटे ने उन्हीं फ्लैट्स के ग्राउंड फ्लोर पर सिन्नर तालुका डिवीजन मिल्क प्रोसेसिंग टीम का 24/7 मिल्क एटीएम शुरू किया, मौजूदा वक्त में बंद है. 

विधायकी पर क्यों लटकी तलवार?

जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 धारा 8(3) के तहत यह प्रावधान है कि अगर किसी विधायक या सांसद को 2 साल या दो साल से ज्यादा की सजा होती है, तो सजा की तारीख से उसकी सदस्यता स्वत: ही समाप्त मानी जाएगी. इसके साथ ही अगले 6 साल के लिए वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा. 
 

 
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