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एक चट्टान से पूरा मंदिर... हैरान रह गए जो रोगन, एलोरा के इस मंदिर से अमेरिकी स्टार का पॉडकास्ट वायरल

जो रोगन का एपिसोड आने के बाद गूगल पर 'Kailasa Temple' और 'Ellora Caves' की सर्च फिर से आसमान छू रही है. लोग इसके बारे में पता कर रहे हैं. अब शायद कुछ और भारतीय भी जान पाएं कि उनके घर से महज कुछ सौ किलोमीटर दूर दुनिया का आठवां आश्चर्य मौजूद है.

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एलोरा का कैलास देख अमेरिकी स्टार हैरान, जो रोगन का पॉडकास्ट वायरल
एलोरा का कैलास देख अमेरिकी स्टार हैरान, जो रोगन का पॉडकास्ट वायरल

अमेरिका के मशहूर कॉमेडियन और पॉडकास्ट होस्ट जो रोगन ने ‘द जो रोगन एक्सपीरियंस’ के एक एपिसोड में कैलास मंदिर की यात्रा करते नजर आए. वो तस्वीरें और यूट्यूब वीडियो दिखाते हुए नजर आ रहे हैं. आश्चर्य में डूबे जो रोगन कहते हैं कि ये चीज ऊपर से नीचे एक ही चट्टान को काटकर बनाई गई है. Wow....इतनी परफेक्ट सिमेट्री, इतना स्केल... भाई, ये तो दिमाग हिला देता है. 

बता दें कि कैलास मंदिर (एलोरा की गुफा नंबर-16) दुनिया का सबसे बड़ा मोनोलिथिक ढांचा है यानी एक ही चट्टान से तराशा गया करीब 1400 साल पुराना ये मंदिर मुंबई से महज 350 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में है, पर हैरानी की बात ये है कि देश के ज्यादातर लोग आज भी इसके बारे में ठीक से नहीं जानते. इस मंदिर से अमेर‍िकी स्टार जाे रोगन ने पॉडकास्ट भी किया जो कि अब वायरल हो रहा है. 

एक चट्टान से कैसे बना ये मंदिर 
सामान्य मंदिर पत्थर जोड़कर बनते हैं. वहीं कैलास मंदिर उल्टा है, इसे ऊपर से नीचे काटकर बनाया गया है. एक पहाड़ी को ऊपर से खोदकर बीच में पूरा मंदिर खड़ा कर दिया, चारों तरफ खाई बना दी. कुल दो लाख टन से ज्यादा बेसाल्ट चट्टान हटाई गई. लंबाई 84 मीटर, चौड़ाई 47 मीटर, ऊंचाई 30-33 मीटर...और सब कुछ एक ही पत्थर से.

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कैलास मंदिर का ड्रोन शॉट (Image: Screengrab via YouTube)

जो रोगन बार-बार यही बात दोहराते रहे, 'अगर कोई एक गलती कर देता तो पूरा प्रोजेक्ट बर्बाद. काट लिया तो वापस जोड़ नहीं सकते. और फिर भी परफेक्ट बना दिया!'

आज भी नामुमकिन लगता है...

लेखक अमीश त्रिपाठी ने कुछ दिन पहले ही एक्स पर लिखा था, 'दुनिया में रॉक-कट स्मारक कुल 600 हैं. अकेले भारत में 1800. और ऐसा मुश्किल काम किसी और सभ्यता ने सीरियसली ट्राई तक नहीं किया.'  अमीश का कहना है कि आज ये मंदिर बनाना हो तो डायमंड वायर-सॉ और हैवी मशीनरी चाहिए. उस जमाने में सिर्फ लोहे की छेनी और हथौड़ी से ये किया गया.

(Image: X via Amish Tripathi)

राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम का कारनामा

इतिहासकार बताते हैं कि मंदिर राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम (756-773 ई.) के समय शुरू हुआ था. करीब 18-20 साल तक हजारों कारीगर लगे रहे. मुख्य शिवलिंग वाला गर्भगृह, नंदी मंडपम, प्रवेश द्वार, हाथी की मूर्तियां, रामायण-महाभारत के दृश्य...सब कुछ एक ही चट्टान में उकेरा गया. रावण का कैलाश उठाने वाला प्रसंग भी दीवार पर जिंदा हो उठता है.

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