एल्गर परिषद मामले के आरोपी फादर स्टेन स्वामी की मौत के 5 महीने बाद उनके दोस्त फादर फ्रेजर मस्कारेनहास ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. इस याचिका में मामले से स्वामी का नाम हटाने और हिरासत के दौरान हुई मौत की न्यायिक जांच की मांग की गई है. फादर मस्कारेनहास सेंट पीटर चर्च के पादरी हैं और वे सेंट जेवियर्स कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल भी रह चुके हैं.
उन्होंने याचिका में कहा है कि स्वामी के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर थे. विशेष एनआईए कोर्ट ने इस साल 22 मार्च और 22 अक्टूबर 2020 को अपने आदेशों में कहा था कि स्टेन स्वामी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है. इसी आधार पर अदालत ने स्वामी की जमानत खारिज कर दी थी. जब स्वामी तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में थे, तब हाईकोर्ट की खंडपीठ ने महसूस किया था कि उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है और उन्हें दवा की जरूरत है. उन्हें तुरंत होली फैमिली अस्पताल ले जाया गया. यहां कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ती गई जिसके चलते 84 साल की आयु में उनका निधन हो गया.
याचिका में कहा है कि आरोपी के खिलाफ एनआईए की कोर्ट का निष्कर्ष प्रारंभिक है और इसे अब ठीक करना चाहिए. याचिका सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला देते हुए कहा गया है कि आरोपी को जेल नहीं भेजा गया था, वे दोषी नहीं थे. स्टेन स्वामी की मौत के बाद उनके खिलाफ मुकदमा खत्म हो गया है. कहा गया है कि अब याचिका से ही इसका हल किया जा सकता है.
फादर मस्कारेनहास का कहना है कि स्वामी के खिलाफ जो आरोप है, वो उनका पीछा नहीं छोड़ रही है. उन्होंने कहा कि मंगलुरु के बाहरी इलाके में एक जेसुइट संस्थान ने स्टेन स्वामी के नाम पर एक पार्क का नाम रखने की मांग की थी, तो विहिप, बजरंग दल और एबीवीपी जैसे संगठनों ने इस आधार पर विरोध किया था कि स्वामी को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था.
जन्म तमिलनाडु में, काम झारखंड में
स्टेन स्वामी का जन्म 26 अप्रैल 1937 को तमिलनाडु के त्रिची में जन्म हुआ था. उनके पिता किसान थे और मां घर चलाती थीं. सोशलॉजी में एमए के करने के बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में काम किया. उसके बाद झारखंड आ गए और यहां के आदिवासियों और वंचितों के लिए काम करते रहे.
शुरुआती दिनों में पादरी का काम किया. फिर आदिवासी अधिकारों की लड़ाई लड़ने लगे. बतौर मानवाधिकार कार्यकर्ता झारखंड में विस्थापन विरोधी जनविकास आंदोलन की स्थापना की. ये संगठन आदिवासियों और दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ता है. स्टेन स्वामी रांची के नामकुम क्षेत्र में आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल और टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भी चलाते थे. स्टेन स्वामी पर पत्थलगढ़ी आंदोलन के मुद्दे पर तनाव भड़काने के लिए झारखंड सरकार के खिलाफ बयान जारी करने के आरोप थे. झारखंड की खूंटी पुलिस ने स्टेन स्वामी समेत 20 लोगों पर राजद्रोह का केस भी दर्ज किया था.