
कोरोना की महामारी झेल रहे शहरों में पुणे का नाम भी शामिल है. मरीजों को पहले जिंदगी की जंग लड़नी पड़ रही है. दुर्भाग्य से जो इस जंग में हार जाते हैं, उन्हें मौत के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में श्मशान घाट प्रबंधकों को इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
हर दिन बड़ी संख्या में शवों के पहुंचने की वजह से पुणे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (पीएमसी) की ओर से अब ओपन फील्ड (खुली जगह पर) में अंतिम संस्कार कराने का फैसला लिया जा सकता है.
ऐसा करने से श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए जो घंटों इंतजार करना पड़ रहा है, उस स्थिति से बचा जा सकेगा. कैलाश श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार कराने वाले ललित जाधव ने आजतक को बताया कि पुणे में अबतक 6000 से ज्यादा लोगों की मौत कोविड-19 की वजह से हो चुकी है. ऐसे में पुणे के सभी 21 श्मशान घाटों पर लगातार लोड बना हुआ है.

फिलहाल पुणे के अहम श्मशान घाटों को 24 घंटे काम करना पड़ रहा है. लगातार अंतिम संस्कार होते रहने की वजह से अब श्मशान घाटों को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि पिछले एक हफ्ते में ही 11 से अधिक गैस और बिजली से संचालित शवदाह गृहों में खराबी का सामना करना पड़ा है. इससे मृतकों के रिश्तेदारों को घंटों इंतजार करना पड़ा. ऐसे में उन्हें होने वाली परेशानी को समझा सकता है.
PMC के मुख्य इंजीनियर श्रीनिवास कंडुल ने आजतक को बताया कि हर दिन करीब 100 कोविड मौतें रिपोर्ट हो रही हैं. इसके अलावा 120 से ज्यादा ऐसे शव हर दिन अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं जिनकी मृत्यु का कारण अन्य कोई बीमारी या सड़क हादसा आदि होता है.

इन दिनों पुणे के सभी 21 श्मशान घाट दिन-रात बिना रुके काम कर रहे हैं. ऐसे में लोहे की रॉड्स ने पिघलना शुरू कर दिया है. ट्रांसफॉर्मर्स जहां जबाव दे रहे हैं वहीं चिमनियां भी खराब होने लगी है. ये इस वजह से है कि अंतिम संस्कार लगातार हो रहे हैं और बीच में कोई ब्रेक नहीं मिल रहा. ऐसे में ओवरहीटिंग से पार पाना भी समस्या बना हुआ है.
पीएमसी के पास कोई विकल्प नहीं बचा होने की वजह से अब फैसला किया गया है कि निर्जन जगहों पर खुले में अंतिम संस्कार के पारम्परिक तरीके को अपनाया जाए. सिस्टम अचानक पूरी तरह न बैठ जाए इसके लिए तकनीकी इंजीनियरों की एक विशेष टीम को दिन रात नजर रखने के लिए तैनात किया गया है. पुणे में 4 अतिरिक्त इलेक्ट्रिक शवदाह गृहों के लिए 240 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं. इसके अलावा 42 अतिरिक्त लोगों की नियुक्ति की गई है.