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सीएम शिंदे और अजित पवार की माफी, फडणवीस का नेवी पर ठीकरा... किस तरफ इशारा कर रहे स्टैच्यू विवाद पर महायुति के बयान

महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद राजनीति ने तूल पकड़ लिया है. अब महायुति के नेताओं के बयान भी सामने आ रहे हैं. लेकिन इनमें एकरूपता नहीं है. राजनीति के जानकारों की मानें तो मामला छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा हुआ है और सूबे में जब-जब शिवाजी महाराज से जुड़े मामले उठे हैं, तब-तब राजनीति ने करवट ली है. इसे लेकर महायुति के नेता सतर्क हैं.

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छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर महायुति के नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं (फाइल फोटो- पीटीआई)
छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने पर महायुति के नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं (फाइल फोटो- पीटीआई)

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद राजनीति ने तूल पकड़ लिया है. दरअसल ये पूरा मामला इसलिए बड़ा होता जा रहा है, क्योंकि पिछले साल दिसंबर के महीने में नौसेना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, दोनों डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में प्रतिमा का अनावरण किया गया था. तब BJP ने ये नारा भी दिया था कि छत्रपति का आशीर्वाद... पीएम मोदी के साथ. प्रतिमा के अनावरण के 8 महीने बाद प्रतिमा के गिर जाने की वजह से अब सूब की सियासत गरमा गई है. 

छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने के बाद महायुति की तरफ से जो प्रतिक्रिया आई है, उसमें एकरूपता नहीं है. इस मामले में पहला रिएक्शन सीएम एकनाथ शिंदे की ओर से आया था. उन्होंने पहले कहा था कि मूर्ति नौसेना की ओर से बनवाई गई थी, न कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से. प्रतिमा का अनावरण नौसेना दिवस पर किया गया था, हम नौसेना को सपोर्ट कर रहे थे. उन्होंने ये भी कहा था कि तेज हवा चलने के कारण ऐसा हुआ था. हालांकि इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद आज सीएम शिंदे ने माफी मांग ली है और जल्द से जल्द एक बड़ी मूर्ति बनाने का ऐलान किया है. 

देवेंद्र फडणवीस ने कही थी ये बात

इस मामले में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति नौसेना ने बनाई थी, मूर्ति के निर्माण और स्थापना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण कारकों जैसे तेज हवा की गति और इस्तेमाल किए गए लोहे की गुणवत्ता को नजरअंदाज किया हो, ये संभव है. उन्होंने कहा था कि समुद्री हवाओं के संपर्क में आने के कारण मूर्ति में जंग लगने का खतरा अधिक हो सकता है.

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PWD विभाग ने FIR में क्या-क्या कहा?

हालांकि मूर्ति गिरने के बाद महाराष्ट्र सरकार के PWD विभाग ने एक FIR दर्ज करवाई, इसमें कहा गया कि PWD विभाग ने मूर्ति बनाने का कॉन्ट्रैक्ट एक मूर्तिकार को दिया था, जो कि ठाणे के रहने वाले हैं. बाद में ये भी सामने आया कि मूर्ति के रखरखाव की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग की थी. इसके चलते मामला और गरमा गया. इसी बीच महाराष्ट्र सरकार ने इससे हाथ झटकने की कोशिश की, लेकिन दूसरी तरफ मामला नेवी का था, तो जाहिर सी बात है कि वह पूरी तरह से दूसरी तरफ भी पूरी तरह से जिम्मेदारी नहीं डाल सके.

आशीष शेलार ने मांगी माफी

दरअसल, मामला छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा था और सूबे में जब-जब शिवाजी महाराज से जुड़े मामले उठे हैं, तब-तब राजनीति ने करवट ली है, तो भलाई इसी में थी कि माफी मांगी जाए. सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार ने बयान दिया कि वो सरकार की तरफ से माफी मांग रहे हैं, जबकि आशीष शेलार सरकार में मंत्री या किसी भी पद पर शामिल नहीं है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी के एक बड़े नेता हैं, इसलिए उन्होंने ये बयान दिया. 

डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी मांगी माफी

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इस मामले में पहले NCP की तरफ से शांति थी, क्योंकि डिप्टी सीएम अजित पवार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया था. लेकिन अजित पवार ने बुधवार को एक सार्वजनिक रैली में कहा कि वह महाराष्ट्र की जनता की माफी मांगते हैं, जो घटना हुई वो गलत है, उस पर एक्शन लिया जाएगा. जल्द से जल्द वहां एक नई मूर्ति स्थापित की जाएगी.

छत्रपति शिवाजी महाराज के मुद्दे पर पहले भी गरमाई राजनीति

राजनीति के जानकारों की मानें तो सरकार को डर इसलिए भी है, क्योंकि 2004 में शिवसेना और BJP जब विपक्ष में थी और महाराष्ट्र में सुशील कुमार शिंदे के नेतृत्व में कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन में सरकार चल रही थी, तब एक विदेशी लेखक जेम्स लेन ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर एक किताब लिखी है, उसमें उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कुछ बयान छापे थे, जो कही-सुनी बातों पर आधारित थे. इसे लेकर काफी बवाल हुआ था. उस वक्त  सत्ताधारी कांग्रेस और एनसीपी ने ही जेम्स लेन पर एक्शन लेने और उनकी किताब पर पूरे देश में पाबंदी लगाने की मांग की थी. हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि किताब पर पाबंदी लगाने से मामला ठीक नहीं होगा. अगर आपको किताब में कुछ गलत लग रह है, तो आप दूसरी किताब लिखिए और उस पर स्पष्ट बात रखिए. इसका राजनीतिक मुद्दा कांग्रेस और एनसीपी ने बनाया, जिसकी वजह से शिवसेना और बीजेपी के पक्ष में हवा होने के बावजूद भी हालात बदले और दोबारा कांग्रेस-एनसीपी की सरकार 2004 में महाराष्ट्र में बनी थी. 

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मूर्ति गिरने पर उठे तीन सवाल

मसलन, बीजेपी को पता है कि भावनाएं भड़की हुई हैं. इसे लेकर तीन सवाल पूछे जा रहे हैं. पहला क्या जल्दबाजी में मूर्ति की स्थापना की गई, दूसरा- मूर्ति के अनावरण के लिए खुद प्रधानमंत्री आये थे, तो क्या बीजेपी-एनसीपी और शिवसेना ने राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा किया. और तीसरा सवाल- 8 महीने के भीतर प्रतिमा गिर गई तो क्या मूर्ति ठीक तरीके से नहीं बनाई गई या कॉन्ट्रैक्ट देने में गड़बड़ी की गई. 

महायुति सरकार ने की डैमेज कंट्रोल की कोशिश

जानकारों का कहना है कि इस घटना के अलावा महायुति सरकार के खिलाफ माहौल बनने की आशंका पैदा हुई थी, क्योंकि एक तरफ महायुति सरकार लाडकी बहिण योजना के जरिए माहौल बनाने की कोशिश में जुटी थी, कि इतने में बदलापुर की घटना सामने आ गई. लिहाजा बीजेपी और अजित पवार की तरफ से मांगने की कोशिश की गई. उधर, आदित्य ठाकरे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मूर्ति वाले स्थान का मुआयना करने गए, तो वहां  BJP के सांसद नारायण राणे और उनके बेटों ने उद्धव गुट के कार्यकर्ताओं के खिलाफ नारेबाजी की. इसके चलते मौके पर टकराव के हालात बने. वहीं, शरद पवार, उद्धव ठाकरे रविवार यानी एक सितंबर को एक मोर्चा निकालने वाले हैं. मसलन, मुंबई में एक तरफ विपक्ष साथ आ रहा है, दूसरी तरफ महायुति मामले को ठंडा करने के लिए माफी मांगकर रफादफा करने की कोशिश कर रही है. तुरंत डैमेज कंट्रोल के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक कमेटी बनाने की बात कही है, लेकिन नारायण राणे के बयान के बाद जिस तरह से माहौल गरमाया, उसके बाद दोबारा ये चिंता सता रही है कि इसका डैमेज कंट्रोल कैसे किया जाए. 

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