महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में स्थित विश्व प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं में इन दिनों पानी के रिसाव ने गंभीर चिंता खड़ी कर दी है. खासकर जैन गुफा नंबर 32 में हो रहे इस रिसाव से अंदर मौजूद 9वीं सदी की दुर्लभ भित्ति चित्रों पर खतरा मंडरा रहा है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों ने भी इस रिसाव की पुष्टि की है. इसे स्वाभाविक प्रक्रिया बताया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान हो सकता है.
एजेंसी के अनुसार, एलोरा की गुफाएं छत्रपति संभाजीनगर से लगभग 30 किलोमीटर दूर हैं. यह स्थल हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म की कलाओं का अनूठा संगम है. यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. ये अधिकांश गुफाएं चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं. इनमें नक्काशी, मूर्तिकला और चित्रकारी के बेजोड़ उदाहरण देखने को मिलते हैं.
स्थानीय टूरिस्ट गाइड के अनुसार, पिछले वर्ष भी जैन गुफा नंबर 32 में ऐसा ही रिसाव देखा गया था, जिसके बाद कुछ मरम्मत कार्य किया गया था, लेकिन वह पूरी तरह से प्रभावी नहीं रहा. अब दोबारा पानी का रिसाव शुरू हो गया है, जिससे अंदर की पेंटिंग्स को नुकसान पहुंच सकता है.
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इस संबंध में ASI के एक अधिकारी ने बताया कि यह रिसाव प्राकृतिक रूप से हुआ है और हमने पहले ही संरक्षण विभाग को इस मुद्दे की जानकारी दे दी थी. जल्द ही इसकी जांच की जाएगी.
वहीं, भारतीय राष्ट्रीय ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के सह-संयोजक स्वप्निल जोशी ने कहा कि एलोरा की तुलना अजंता की गुफाओं से करना उचित नहीं होगा, क्योंकि एलोरा में बहुत कम गुफाओं में चित्रकारी मिलती है. हमने पहले भी ASI को पत्र लिखा था. यदि अब भी पानी रिस रहा है, तो तत्काल प्रभाव से इसका समाधान होना चाहिए. रिसाव की समस्या यदि जल्द नहीं रोकी गई, तो सदियों पुरानी कलाकृति को नुकसान हो सकता है.