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समीर वानखेड़े के खिलाफ अब चार महीने तक टिप्पणी नहीं कर सकेंगे नवाब मलिक

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एकल पीठ के आदेश के रद्द कर दिया है. इसमें कहा गया ​है कि मंत्री नवाब मलिक अधिकारी समीर वानखेड़े के विरोध में चार महीने तक कोई टिप्पणी नहीं कर सकते.

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बॉम्बे हाई कोर्ट
बॉम्बे हाई कोर्ट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को किया रद्द
  • सोशल मीडिया पोस्ट से पहले सभी चीजें पुष्ट करने को कहा था

बॉम्बे हाई कोर्ट ने न्यायमूर्ति माधव जामदार के सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर दिया है. इसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ बोल सकते हैं, क्योंकि वह एक अधिकारी हैं. न्यायमूर्ति जामदार ने हालांकि मलिक से सोशल मीडिया पोस्ट डालने या वानखेड़े के खिलाफ बोलने से पहले सभी चीजें पुष्ट करने को कहा था.

वानखेड़े के पिता द्यानदेव वानखेड़े ने दीवाली की छुट्टी के दौरान मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. न्यायमूर्ति जामदार ने वाद को विस्तार से सुना था और कहा था कि मलिक ने द्वेष और नाराजगी के कारण गलत बयान दिए थे. मलिक को वानखेड़े के खिलाफ बोलने से पहले सत्यापन में उचित सावधानी दिखानी चाहिए थी. 

वानखेड़े ने तुरंत न्यायमूर्ति जामदार के आदेश के खिलाफ अपील दायर करते हुए कहा कि जब न्यायाधीश ने ये दो टिप्पणियां की थीं, तो अदालत ने उनके पक्ष में आदेश कैसे पारित नहीं किया.

सोमवार तक का मांगा था समय

जस्टिस एसजे कथावाला और जस्टिस मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को कड़ी फटकार लगाई थी. यह फटकार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी को लेकर थी. इसके बाद मलिक को कहना पड़ा था कि वे 9 दिसंबर तक वानखेड़े के खिलाफ कोई भी टिप्पणी नहीं करेंगे.  बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस कथावाला ने कहा कि नवाब मलिक कैसी पब्लिसिटी चाहते हैं. एक मंत्री पद पर होते हुए क्या उनको ऐसे कार्य शोभा देते हैं. 

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नए सिरे से होगी मामले की सुनवाई, आदेश को किया रद्द

अधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ और दिवाकर राय ने सोमवार को कहा कि न्यायमूर्ति जामदार द्वारा टिप्पणी को लेकर पारित आदेश को रद्द कर दिया गया. अब इस मामले में एक नई पीठ मुकदमे की नए सिरे से सुनवाई करेगी, जिसके लिए खंडपीठ ने समयसीमा तय की है. मलिक नौ दिसंबर तक वानखेड़े द्वारा दायर मुकदमे में अंतरिम आवेदन का जवाब देंगे. 

दरअसल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े के पिता ने नवाब मलिक द्वारा की जा रही बयानबाजी को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें सार्वजनिक टिप्पणी करने पर रोक लगाए जाने की बात कही गई थी. अदालत ने वानखेड़े को अपना पक्ष रखने के लिए 3 जनवरी तक का समय दिया. कोर्ट में वानखेड़े की पैरवी कर रहे वकील बीरेंद्र सराफ ने कहा कि कोर्ट ने माना है कि मंत्री नवाब मलिक द्वारा की गई बयानबाजी द्वेष और दुश्मनी से प्रेरित है. ऐसी टिप्पणियों से व्यक्ति की इमेज को नुकसान पहुंचा है. 

वानखेड़े के पिता ने कोर्ट में की थी यह मांग

समीर वानखेड़े के पिता ने कोर्ट से नवाब मलिक को उनके परिवार के खिलाफ बयान देने से रोकने की मांग की थी. कोर्ट ने उनकी मांग को ठुकराते हुए कहा था कि राइट टू स्पीच के चलते नवाब मालिक को बोलने का अधिकार है. यह भी कहा गया था कि प्रथम दृष्टया नवाब मलिक का वानखेड़े के खिलाफ आरोप झूठा नहीं है.

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न्यायमूर्ति जामदार ने क्या कहा था

न्यायमूर्ति जामदार ने कहा था कि जनता को सरकारी अधिकारियों के कार्यों की जांच करने और उन पर टिप्पणी करने का अधिकार है. हालांकि ऐसा तथ्यों के उचित सत्यापन के बाद किया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि वानखेड़े की निजता के अधिकार और मलिक के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को भी संतुलित करना आवश्यक है. इसलिए नवाब मालिक पोस्ट कर सकते हैं. लेकिन वे पूरी तरह से वेरीफाई करने के बाद ही कुछ पोस्ट करें.

खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ के न्यायाधीश 28 मार्च तक मामले की सुनवाई करेंगे. तब तक मलिक वानखेड़े के खिलाफ कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देंगे.

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