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'सिर्फ शक काफी नहीं...', बॉम्बे हाईकोर्ट ने POCSO मामले में आरोपी को दी जमानत

आरोपी के वकील अनिकेत निकम ने कहा कि यह घटना गलतफहमी का नतीजा थी. उन्होंने बताया कि मां ने बाद में लिखित बयान में कहा कि बच्ची ने चोट को खेलते समय गिरने और खुजली के कारण बताया था. मेडिको-लीगल रिपोर्ट में भी लालिमा दर्ज की गई, लेकिन अंतिम राय खाली थी.

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2023 में तीन साल की बच्ची से यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार एक व्यक्ति को जमानत दे दी है. जस्टिस मिलिंद जाधव ने अभियोजन और बचाव पक्ष के सबूतों की समीक्षा के बाद यह आदेश पारित किया. मामला 12 जून, 2023 का है, जब बच्ची की मां ने शिकायत दर्ज की थी. मां के अनुसार, उनकी बेटी ने 11 बजे रात को पेशाब करने में दर्द की शिकायत की. अगली सुबह नहलाते समय मां ने बच्ची के निजी अंग पर लालिमा देखी. पूछने पर बच्ची ने डरते हुए अपने निजी अंग की ओर इशारा किया और “पापा-आई” शब्द का इस्तेमाल किया. 

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बच्ची कथित तौर पर आरोपी को “पापा-आई” कहती थी, जो परिवार के साथ उनके स्टूडियो अपार्टमेंट में रहता था. आरोपी, जो माता-पिता के ही पूर्वोत्तर राज्य का रहने वाला था, बच्ची की देखभाल करता था और उसे क्रेच ले जाता था, क्योंकि माता-पिता काम पर रहते थे. अभियोजन ने दावा किया कि आरोपी ने परिवार का विश्वास जीतकर इस रिश्ते का दुरुपयोग किया. मां ने रात में बच्ची के कपड़े बदलते हुए आरोपी को देखा था, जब बच्ची ने बिस्तर गीला कर दिया था.

आरोपी के वकील अनिकेत निकम ने कहा कि यह घटना गलतफहमी का नतीजा थी. उन्होंने बताया कि मां ने बाद में लिखित बयान में कहा कि बच्ची ने चोट को खेलते समय गिरने और खुजली के कारण बताया था. मेडिको-लीगल रिपोर्ट में भी लालिमा दर्ज की गई, लेकिन अंतिम राय खाली थी.

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अभियोजन और मां के वकील ने जमानत का विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने बयानों में असंगतियां पाईं. जस्टिस जाधव ने कहा, “POCSO एक्ट की धारा 29 के तहत presumption के बावजूद, यह पूर्ण नहीं है. कोर्ट को सभी परिस्थितियों पर विचार करना होता है.” कोर्ट ने FIR में अस्पष्टता, मां के बदले बयान और आरोपी-बच्ची के लंबे रिश्ते पर ध्यान दिया.

कोर्ट ने कहा, “रात में बच्ची के बिस्तर गीला करने और आरोपी द्वारा कपड़े बदलने की घटना ने मां को संदेह पैदा किया होगा.” कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषसिद्धि के लिए सबूतों का एक स्पष्ट और पूर्ण सिलसिला होना चाहिए, जो यह साबित करे कि अपराध केवल आरोपी ने ही किया. आरोपी को जमानत मिल गई है, और जांच जारी है.

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