तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद शिवसेना के प्रति भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के स्वर नरम पड़ गए हैं. सोमवार को महाराष्ट्र के पंढरपुर में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाषण के दौरान कहा था कि आजकल तो 'चौकीदार ही चोर है.' इतने तल्ख बयान के बाद भी बीजेपी की ओर से कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं आई.
मंगलवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर से उद्धव ठाकरे के चौकीदार वाले बयान पर पत्रकारों ने सवाल किया. इस पर जावडेकर ने सिर्फ इतना ही कहा कि 'आगे-आगे देखिए होता है क्या.' 2014 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा और बीजेपी ने शिवसेना से अच्छा प्रदर्शन करते हुए देवेंद्र फडणवीस को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया. कोई मौका नहीं रहा जब दोनों पार्टियों ने एक दूसरे की जमकर आलोचना न की हो.
बीजेपी की जहां तक बात है तो उसने भी शिवसेना और उसके प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ विरोधी बयान देने में कोई कोताही नहीं बरती लेकिन ऐसा लगता है कि हालिया विधानसभा चुनावों में हार के बाद उसने अच्छी सीख ली है. बीजेपी को लग गया है कि शिवसेना का साथ लिए बिना महाराष्ट्र में कोई चुनाव जीतना इतना आसान नहीं. इसे देखते हुए बीजेपी ने अपने सहयोगियों के प्रति तेवर में थोड़ी नरमी बरतनी शुरू कर दी है. हाल में बिहार में एनडीए गठबंधन का ऐलान हुआ जिसमें बीजेपी ने अपनी सीटें रामविलास पासवान को देने का फैसला किया.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को घोषणा की कि बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव में पासवान की पार्टी एलजेपी 6 सीटों पर, जबकि बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. बीजेपी और जेडीयू ने एलजेपी प्रमुख राम विलास पासवान को राज्यसभा की एक सीट देने पर भी सहमति जताई. अमित शाह ने कहा कि सभी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने में सहमति जताई है. उन्होंने भरोसा जाहिर किया एनडीए गठबंधन बिहार में 2019 में 2014 की तुलना में अधिक सीट जीतेगा.
उधर महाराष्ट्र में शिवसेना ने फैसला कर लिया है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में वह किसी के साथ गठजोड़ नहीं करेगी. इसके बावजूद बीजेपी नेताओं को भरोसा है कि वे शिवसेना प्रमुख को मना लेंगे और महाराष्ट्र में एकसाथ चुनाव लड़ा जाएगा. तभी शिवसेना की ओर से लगातार तीखे हमले के बावजूद बीजेपी सेना और ठाकरे के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रही.