2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों को बरी कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोप साबित करने में पूरी तरह नाकाम रहा और यह विश्वास करना मुश्किल है कि आरोपियों ने ही यह अपराध किया हो. इस मामले में हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से दोषी ठहराए गए 12 में से 11 आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया है, जबकि एक आरोपी की अपील लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई थी.
'हमें यकीन था कि एक दिन इंसाफ जरूर मिलेगा'
इस फैसले के बाद आरोपी और उनके परिवारों ने अपनी पीड़ा साझा की. डॉक्टर तनवीर अंसारी के भाई ने कहा, 'हमें पहले दिन से ही पता था कि यह केस झूठा है. जब उन्हें गिरफ्तार किया गया, उस समय वह अस्पताल में ड्यूटी पर थे. न वह घटनास्थल पर थे और न ही उनके फोन से कुछ मिला. हमें यकीन था कि एक दिन इंसाफ जरूर मिलेगा. लेकिन इस सदमे में हमने अपने पिता को खो दिया.'
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'सरकार SC गई तो एक बार फिर भरोसा जीतेगा'
जमीर अहमद शेख के बड़े भाई ने कोर्ट के बाहर कहा, 'प्रॉसिक्यूशन ने कहा कि मेरे भाई का ताल्लुक SIMI से था और वह पाकिस्तानियों के संपर्क में था, जबकि यह सब मनगढ़ंत था. उससे जबरदस्ती कबूलनामा करवाया गया, धमकाया गया कि अगर उसने साइन नहीं किए तो पूरे परिवार को फंसा देंगे.'
मामले में पहले ही बरी हो चुके वाहिद शेख, जो अब जेल सुधारों के लिए काम करते हैं, बोले, 'हमने पहले दिन से कहा कि यह केस गलत है. फैसला देर से आया, लेकिन आया. अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जाती है, तो हमें भरोसा है कि सच एक बार फिर जीतेगा.'
'हम भी पीड़ित हैं...'
मोहम्मद साजिद अंसारी, जिन्हें 2015 में उम्रकैद की सजा दी गई थी और अब बरी किया गया है, बोले, 'मैं इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर था. ATS को कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए था जिसे तकनीकी रूप से केस में फंसाया जा सके. मुझ पर SIMI के दो केस और थे, जिनसे मैं पहले ही बरी हो चुका हूं और अब इस केस से भी. मेरी बेटी मेरी गिरफ्तारी के तीन महीने बाद पैदा हुई थी. उसे कभी पिता का प्यार नहीं मिला. मैं अब लॉ पढ़ रहा हूं. मैं ब्लास्ट पीड़ितों से कहना चाहता हूं कि हम भी पीड़ित हैं- झूठे केस के शिकार.'
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2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस
11 जुलाई 2006: 7 बम धमाके मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए, 187 लोगों की मौत, 824 घायल.
जुलाई-अगस्त 2006: 13 लोगों की गिरफ्तारी.
30 नवंबर 2006: 30 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल, जिनमें 13 पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल.
2007: ट्रायल शुरू.
सितंबर 2015: 12 लोगों को दोषी ठहराया गया, 5 को फांसी, 7 को उम्रकैद.
2024: हाई कोर्ट ने केस की सुनवाई शुरू की.
21 जुलाई 2025: सभी 11 आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा- अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा.