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महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए साड़ी भी पहन लूंगी: उमा भारती

उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह पूजन के दौरान साध्वियों के लिए ड्रेस कोड की व्यवस्था को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच भारतीय जनता पार्टी की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा है कि अगली बार मंदिर दर्शन करने के लिए पुजारियों के कहने पर वह साड़ी भी पहन लेंगी.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, फाइल फोटो -IANS
पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, फाइल फोटो -IANS

  • पुजारी कहेंगे तो पहन लूंगी साड़ी
  • मंदिर के ड्रेस कोड को मानने से परहेज नहीं
  • बहन समझ पुजारी साड़ी करें भेंट
उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह पूजन के दौरान साध्वियों के लिए ड्रेस कोड की व्यवस्था को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा है कि अगली बार मंदिर दर्शन करने के लिए पुजारियों के कहने पर वह साड़ी भी पहन लेंगी.

उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने वाली महिलाओं को साड़ी पहनना पड़ता है. साध्वी के लिए भी यही ड्रेस कोड लागू किए जाने की चर्चा लंबे समय से चल रही है. इस पर कई साध्वियों ने ऐतराज जताया था, लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने ड्रेस कोड पर अमल का वादा किया है.

उमा भारती ने मंगलवार को महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन करने के बाद सात ट्वीट किए. इन ट्वीट में उन्होंने कहा, "आज मैंने सवेरे नौ से 10 बजे के बीच उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन किए एवं उन्हें जल चढ़ाया एवं संपूर्ण विश्व के कल्याण की कामना की. दर्शन करके मंदिर से बाहर निकली तब मीडिया जगत से जुड़े कई लोग उपस्थित थे. उन्होंने बहुत सारे प्रश्न किए, कितु एक महत्वपूर्ण प्रश्न ड्रेस कोड के बारे में था."

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उन्होंने मीडिया के सवालों पर दिए अपने जवाब का जिक्र करते हुए कहा, "मैंने उसका उत्तर दिया, जो इस प्रकार है - मुझे पुजारियों द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड पर कोई आपत्ति नहीं है. मैं जब अगली बार मंदिर दर्शन करने आऊंगी तब वे यदि कहेंगे तो मैं साड़ी भी पहन लूंगी. मुझे तो साड़ी पहनना बहुत पसंद है तथा मुझे और खुशी होगी यदि पुजारीगण ही मुझे अपनी बहन समझकर मंदिर प्रवेश के पहले साड़ी भेंट कर दें. मैं बहुत सम्मानित अनुभव करूंगी."

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, "उज्जैन में महाकाल स्वयं अपनी शक्ति से तथा यहां के पुजारियों की परंपराओं के प्रति निष्ठा के कारण बने हुए हैं. यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि महाकाल के पुजारी युद्ध कला में भी पारंगत हैं. वे महाकाल के सम्मान की रक्षा के लिए जान न्योछावर करने के लिए तैयार रहते हैं. ऐसे महान परंपराओं के रक्षकों की हर आज्ञा सम्मान योग्य है, उस पर कोई विवाद नहीं हो सकता."

(IANS इनपुट के साथ)

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