मध्य प्रदेश से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में अगले महीने आयोजित होने जा रहे 'पेसिफिक स्कूल गेम्स' में हिस्सा लेने के लिए मध्य प्रदेश के स्कूलों से विभिन्न खेलों के लिए 29 विद्यार्थियों को चुना जाता है. इन विद्यार्थियों को पासपोर्ट समेत कागजात पूरे करने के लिए महज 3 दिन दिए जाते हैं. फिर 20 दिन बाद ऑस्ट्रेलिया जाने वाले दल की फाइनल लिस्ट जारी की जाती है.
अब इस लिस्ट में 29 की जगह चुने गए सिर्फ 19 विद्यार्थियों के नाम ही बचे रह जाते हैं. इस लिस्ट में जो झटका देने वाली बात सामने आती है, वो ये कि इसमें भारतीय दल के प्रमुख के तौर पर मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह का नाम आ जाता है. शाह के साथ मध्य प्रदेश के 5 अफसरों के नाम भी भारतीय दल के सदस्यों के तौर पर लिस्ट में जुड़ जाते हैं. इन सभी के नाम उन विद्यार्थियों के स्थान पर लिस्ट में जोड़े गए जो दिए गए वक्त में पासपोर्ट समेत आवश्यक कागजात जमा नहीं करा पाए.
पब्लिक इंस्ट्रक्शन्स डायरेक्टोरेट (जन निर्देश निदेशालय) ने 31 अक्टूबर 2017 को स्कूलों से चुने गए 29 विद्यार्थियों की लिस्ट निकाली थी जिन्हें बास्केटबॉल, फुटबॉल, हॉकी, नेटबॉल, सॉफ्टबॉल, तैराकी, डाइविंग और ट्रैक-फील्ड इवेंट्स आदि में हिस्सा लेने के लिए चुना गया. चुने गए विद्यार्थियों को सिर्फ 3 दिन में पासपोर्ट समेत आवश्यक कागजात जमा कराने के लिए कहा गया.

हैरानी की बात है कि स्कूल गेम्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया, जिसका मुख्यालय आगरा में है, 20 नवंबर को एक फाइनल लिस्ट जारी करता है जिसमें मध्य प्रदेश से ऑस्ट्रेलिया जाने वाले लोगों के नाम दर्ज होते हैं. इस फाइनल लिस्ट में पहले चुने गए 29 विद्यार्थियों में से सिर्फ 19 के नाम ही बचे रह जाते हैं. बाकी के नाम इसलिए हटा दिए गए क्योंकि वो वक्त पर पासपोर्ट समेत जरूरी कागजात जमा नहीं करा पाए.
जिनके नाम लिस्ट से हटाए गए उनमें भोपाल की दो सगी बहनें आशा और अंजलि भी शामिल हैं. दोनों बहनें भोपाल के एमएलबी स्कूल में पढ़ती हैं. दोनों ने पांच साल पहले सॉफ्टबॉल खेलना शुरू किया और इस खेल में राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम किए. दोनों बहनों के लिए 'पेसिफिक स्कूल गेम्स' के लिए सेलेक्शन होना बड़ा सपना पूरा होने से कम नहीं था. दोनों के पास पासपोर्ट नहीं थे और सिर्फ तीन दिन में सभी औपचारिकताएं पूरी कर कागजात जमा कर देना उनके लिए संभव नहीं हो पाया.
स्कूल गेम्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया की ओर से 20 नवंबर को जारी फाइनल लिस्ट में भारतीय दल के प्रमुख के तौर पर मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह और राज्य के 5 अधिकारियों का नाम दल के आधिकारिक सदस्यों के तौर पर जुड़ा था. मध्य प्रदेश स्कूली शिक्षा विभाग दल के हर सदस्य पर ढाई लाख रुपये खर्च कर रहा है. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया जा रहे मध्य प्रदेश के इन अधिकारियों में से कोई भी ना तो किसी खेल का कोच है और ना ही किसी का खेल अनुशासन से कोई जुड़ाव रहा है.

हालांकि जब मंत्री विजय शाह से इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कुछ भी गलत होने से इनकार किया. शाह ने स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की चिट्ठी को अपने बचाव में पेश भी किया. शाह ने कहा कि उन्हें ऑस्ट्रेलिया जाने वाले 180 सदस्यीय भारतीय दल की अगुआई करने के लिए चुना गया. जब विजय शाह से इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया.
शाह ने अपने बचाव में एसएफआई की ओर से लिखी चिट्ठी को पेश किया. शाह का दावा है कि उन्हें फेडेरेशन की ओर से चुने गए 180 भारतीय प्रतिभागियों के दल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया. इसके लिए उन्होंने अपने लंबे अनुभव का हवाला दिया. जिस चिट्ठी का जिक्र शाह ने किया वो 17 नवंबर को लिखी गई थी. हैरानी की बात है कि इसके दो दिन बाद ही 20 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया जाने वाले मध्य प्रदेश के विद्यार्थियों और अधिकारियों की फाइनल लिस्ट जारी की गई.
आश्चर्य है कि ये चिट्ठी फेडेरेशन की ओर से शाह को 17 नवंबर को लिखी गई. दो दिन बाद 20 नवंबर को चुने गए खिलाड़ियों और साथ जाने वाले अधिकारियों के नामों की सूची जारी की गई. यहां ये सवाल उठता है कि कैसे मंत्री और अन्य अधिकारियों ने सिर्फ दो दिन में ही अपने सभी कागजात पूरे कर जमा करा दिए.
लिस्ट के साथ जो नोट था वो भी गौर करने लायक है. इस नोट पर लिखा था कि निम्नलिखित खिलाड़ी और अधिकारी, जिन्होंने अपने कागजात जमा कर दिए हैं, सफलतापूर्वक पंजीकृत किए गए हैं, अब इसमें और सदस्यों को जोड़ना ना तो संभव है और ना ही हमारे हाथ में है.

विपक्षी दल कांग्रेस ने इस प्रकरण को सरकार की फिक्स्ड प्राथमिकताओं का मामला बताया है. विपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा कि ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. ये सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाता है. मंत्री का नाम पहले नहीं था और वो अचानक दल के प्रमुख बन जाते हैं. चुने गए विद्यार्थियों का नाम लिस्ट से हटा दिया जाता है.
बहरहाल, यहां जो सबसे बड़ा सवाल है कि जब फाइनल लिस्ट 20 दिन बाद जारी की गई तो चुने गए विद्यार्थियों को पासपोर्ट समेत तमाम पेपरवर्क पूरा करने के लिए मात्र तीन दिन का ही वक्त क्यों दिया गया? जबकि मंत्री को 17 नवंबर को चिट्ठी भेजी गई और 20 नवंबर को जारी फाइनल लिस्ट में मंत्री और पांच अधिकारियों का नाम सभी औपचारिकताएं पूरी होने के साथ दर्ज हो गया.