मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व सभापति एनपी प्रजापति ने कहा है कि मध्यप्रदेश के राजनीतिक हालात पर निर्णय लेने के दौरान न्यायपालिका ने कोरोना वायरस के खतरे को नजरंदाज किया. प्रजापति ने कहा, जब 16 मार्च को मैंने कोरोना वायरस के खतरे को भांपते हुए विधानसभा को स्थगित किया तो लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिराज सिंह चौहान को जिम्मेदार ठहराया.
बता दें, मध्य प्रदेश विधानसभा के 16 मार्च को 10 दिन के लिए स्थगित कर दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना पर सुनवाई नहीं की और 20 मार्च को एक फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया. मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने मंगलवार को भोपाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि स्पीकर की ओर से विधानसभा स्थगित करने का फैसला उन कई राज्यों के बाद लिया गया, जहां कोरोना को लेकर पहले ऐसा हुआ था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई चर्चा नहीं की.
प्रजापति ने कहा, स्पीकर का पद संवैधानिक होता है. ऐसी स्थिति में डॉ भीम राव अंबेडकर और अन्य संविधान के निर्माता क्या सोचते-समझते. प्रजापति सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर बात कर रहे थे. उस वक्त मध्यप्रदेश में एक संकट की स्थिति पैदा हो गई थी जब कांग्रेस के 22 विधायक पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पाले में बेंगलुरु चले गए थे. बेंगलुरु से ही इन विधायकों ने स्पीकर को अपना इस्तीफा भेज दिया था, जबकि स्पीकर का कहना था सभी विधायक उनके समक्ष आकर इस्तीफा सौंपें.
एनपी प्रजापति ने कहा, देश में कोरोना के मामले 5.5 लाख तक पहुंच गए हैं, 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है. मध्यप्रदेश में भी 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रजापति ने कहा, इसके लिए (कोरोना से मौत) प्रधानमंत्री मोदी और शिवराज सिंह चौहान जिम्मेदार हैं और उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि कोरोना फैलाने के पीछे उन्हीं का हाथ है. दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को बीजेपी सरकार के 100 दिन को पूरे प्रदेश में काला दिवस के रूप में मनाया. प्रदेश में जगह-जगह सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए गए.
कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख जीतू पटवारी ने इस मौके पर कहा कि शिवराज सिंह चौहान की मौजूदा सरकार ने लोकतंत्र के सिद्धांतों की हत्या की है, इसलिए प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जनता इन्हें सबक सिखाएगी. बता दें, 22 सीटों पर उपचुनाव कराया जाना जरूरी है क्योंकि कांग्रेस के 22 बागी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. जबकि दो सीटें दो विधायकों के निधन के बाद खाली पड़ी हैं.