मध्य प्रदेश के वनमंत्री उमंग सिंघार के नर्मदा पौधारोपण को लेकर विधानसभा में दिए जवाब पर कांग्रेस के भीतर सियासी तूफान मच गया है. दिग्गी राजा ने वनमंत्री को नसीहत दी तो मंत्री ने पलटवार करते हुए दिग्विजय को चिट्ठी लिखकर उनके बेटे की गलती पर चुप रहने पर सवाल खड़े कर दिए. साफ है कि 2 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार में वनमंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह से सीधी टक्कर ले ली है, जिसने बीजेपी को भी चटखारे लेने का मौका दे दिया है.
दरअसल, मध्य प्रदेश विधानसभा में नर्मदा किनारे पौधारोपण को लेकर वनमंत्री उमंग सिंघार के जवाब के बाद उठा विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब सत्ता और संगठन के बीच की लड़ाई दुनिया के सामने आ गई है. आपको बता दें कि वनमंत्री उमंग सिंघार ने नर्मदा किनारे पौधारोपण को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि उसमें कोई गबन नहीं हुआ था, लेकिन दिग्विजय सिंह ने उमंग सिंघार के जवाब को गलत ठहराया और नसीहत देते हुए पूछा था कि नर्मदा किनारे वो कितने किलोमीटर पैदल चले हैं?
इस पर वनमंत्री सिंघार ने पलटवार करते हुए दिग्विजय सिंह को ही एक चिठ्ठी लिख दी है. सिंघार ने इसमें कहा कि मीडिया में बयान देने से पहले आपको मुझसे चर्चा करना चाहिए थी. बिना पढ़े आपने मीडिया में बयान जारी कर दिया जबकि आपके बेटे और नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने एक प्रश्न के उत्तर में सिंहस्थ घोटाले में विभाग को क्लीनचिट दे दी. सिंघार ने दिग्विजय को नसीहत देते हुए कहा कि आपको सभी के साथ न्याय करना चाहिए और प्रदेश में पार्टी कैसे मजबूत हो इसके लिए सोचना चाहिए.
अपनी चिट्ठी के ज़रिए वनमंत्री उमंग सिंघार ने ना केवल दिग्विजय के बयान पर आपत्ति जताई बल्कि उनको नसीहत भी दी है कि आपने अपने बेटे जयवर्धन को सिंहस्थ घोटाले के मामले में क्लीनचिट देने पर कुछ नहीं कहा जबकि आपको सभी के साथ न्याय करना चाहिए. वहीं सिंहस्थ घोटाले पर जयवर्धन सिंह ने कहा कि जब उनके विभाग के पास सिंहस्थ से जुड़ी फ़ाइल ही नहीं आई तो ऐसे में क्लीनचिट का सवाल ही नहीं उठता. जयवर्धन सिंह ने कहा कि अभी मेरे विभाग में नहीं आई है वह रिपोर्ट अभी सामान्य प्रशासन विभाग में है इसलिए वह प्रश्न मेरे विभाग का नहीं था.
बीजेपी ने ली चुटकी
कांग्रेस में जारी सत्ता और संगठन की इस लड़ाई ने हाल ही में विधानसभा चुनाव हारी बीजेपी को खुश होने का मौका दे दिया है. बीजेपी ने इस लड़ाई को दिग्विजय सिंह के पुत्रमोह से जोड़ते हुए तंज कसा और कहा कि दिग्गी राजा ने आदिवासी और गरीबों के बेटों को तो डांट लगाई लेकिन वैसी ही गलती के लिए अपने बेटे को कुछ नहीं कहा. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कहा कि 'दिग्विजय सिंह के अंदर जो राजशाही है वह बरकरार है और राजा जिस तरीके से गरीबों को हुकुम सुनाते रहते हैं उसी तरीके से उन्होंने दो आदिवासी चेहरों को निशाना बनाया और उनको डांट लगाई. जबकि वनमंत्री का जवाब बिल्कुल ठीक है, उन्होंने कहा कि यही डांट जयवर्धन को भी तो लगती. सार्वजनिक तौर पर यह राजा रजवाड़े गरीबों का अपमान करते रहे हैं किसान मजदूरों का अपमान करते रहे हैं. उन्हें अभी भी वन मंत्री और गृह मंत्री नहीं दिखते उन्हें बाला बच्चन और उमंग सिंघार दिखते हैं और उसी भाषा में दिग्विजय सिंह उन्हें डांट रहे हैं.
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह को यह समझ लेना चाहिए लोकतंत्र बढ़ गया और राजशाही खत्म हो गई है. डांटना सीखो तो घर की चौखट से सीखो, गरीबों के बेटों को मत डांट लगाओ. वहीं बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने कहा कि 'उमंग सिंघार तो कह रहे हैं कि मैं यदि दिग्विजय सिंह का बेटा नहीं हूं. यदि मैं आदिवासी हूं, यदि मैं राजा महाराजा के यहां नहीं पैदा हुआ तो क्या मुझे डांट पड़ेगी. बाला बच्चन आदिवासी है तो उन्हें डांटा जाएगा लेकिन किसी राजा महाराजा के बेटे को नहीं डांटा जाएगा क्या?
आपको बता दें कि विधानसभा के इस सत्र में मंदसौर गोलीकांड, व्यापमं और नर्मदा किनारे पौधारोपण को लेकर सरकार के जवाव से कांग्रेस लगातार बैकफुट पर है. सत्ता और संगठन की लड़ाई लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए शुभ संकेत तो नहीं है.