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शिवराज के 3 मंत्री हारे लेकिन इमरती के इस्तीफे का अब भी इंतजार 

मध्य प्रदेश उपचुनाव में हारे शिवराज सरकार के तीन मंत्रियों में से महज एक मंत्री एदलसिंह कंसाना ने स्वप्रेरणा से इस्तीफा दिया है जबकि इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया अभी तक मंत्री पद नहीं छोड़ा है. इतना ही नहीं इमरती देवी की ओर से तो यह भी साफ नहीं किया जा रहा है कि वे इस्तीफा कब देंगी? 

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इमरती देवी
इमरती देवी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मंत्री बने इमरती को 2 जनवरी को 6 महीने हो जाएंगे
  • एमपी चुनाव में शिवराज के तीन मंत्री हारे चुनाव
  • इमरती देवी-गिर्राज दंडोतिया ने नहीं छोड़ा मंत्री पद

मध्य प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव में शिवराज कैबिनेट के तीन मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा है. इन तीन मंत्रियों में से महज एक मंत्री एदलसिंह कंसाना ने स्वप्रेरणा से इस्तीफा दिया है जबकि इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया ने अभी तक मंत्री पद नहीं छोड़ा है. इतना ही नहीं इमरती देवी की ओर से तो यह भी साफ नहीं किया जा रहा है कि वे इस्तीफा कब देंगी? 

इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया खुद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो नियम के मुताबिक जनवरी में इन्हें मंत्रिपद से हटना ही पड़ेगा. संविधान के अनुसार कोई भी गैर विधायक व्यक्ति अधिकतम 6 महीने तक पद पर रह सकता है. ऐसे में अगर वह निर्वाचित नहीं होता है, तो उसका पद स्वत: समाप्त हो जाता है. 2 जुलाई को इमरती देवी और गिर्राज ने मंत्री पद की शपथ ली थी, इस हिसाब से यदि दोनों लोग इस्तीफा नहीं देते हैं तो भी 2 जनवरी तक पद पर ही रह सकते हैं. इसके बाद उन्हें मंत्री पद छोड़ना होगा. 

दरअसल, यह माना जा रहा है कि कांग्रेस से बगावत और कमलनाथ की सरकार से मंत्री पद छोड़कर चुनाव में उतरी इमरती देवी को हार के बाद भी शिवराज सरकार में ऊंचा ओहदा मिलने की संभावना है.

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शिवराज सरकार में महिला एवं बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग की इमरती देवी मंत्री हैं और वो हार के बाद बयान दे चुकी हैं कि वह हारी नहीं हैं. सरकार हमारी है. जो जीत गए हैं, वह एक हैंडपंप भी नहीं लगवा पाएंगे. 

वहीं, बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के दिए बयान को इमरती देवी की इस्तीफे पर जारी चुप्पी से ही जोड़कर देखा जा रहा है. प्रभात झा ने कहा था कि हारने के बाद कोई मंत्री नहीं रहता. उन्होंने यह भी संकेत दिए कि कैबिनेट की मीटिंग होने तक हारे हुए मंत्री खुद ब खुद हट जाएंगे. इस बयान के बाद भी अभी तक हारे हुए दोनों मंत्रियों ने कोई कदम नहीं उठाया है. 

बता दें कि इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं. सिंधिया के चलते ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए हैं. ऐसे माना जा रहा है कि सिंधिया की अनुशंसा पर इन दोनों लोगों को निगम मंडलों में जगह दी जा सकती है या फिर इन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा सकता है.

हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए हारे हुए मंत्रियों को मंत्री का दर्ज देना इतना भी आसान नहीं होगा, क्योंकि उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए नेताओं के लिए जोरदार चुनाव प्रचार कर उन्हें जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पार्टी के अपने नेताओं को भी संतुष्ट करने की जिम्मेदारी है. ऐसे में  शिवराज सरकार में अपना भविष्य अनिश्चित देखने के बाद ही इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया इस्तीफा दे सकते हैं. 

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दरअसल, मौजूदा समय में शिवराज सरकार में छह मंत्रियों का पद रिक्त है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनौती है कि खाली पड़े इन 6 पदों पर वह सिंधिया समर्थकों को तरजीह दें या फिर बीजेपी के अपने ऐसे नेताओं को कैबिनेट में शामिल करें जो लंबे समय से मंत्रिमंडल में जगह पाने का इंतजार कर रहे हैं. मार्च में हुए घटनाक्रम के बाद सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में एडजस्ट करने की मजबूरी के बीच अपने नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं कर सके थे. 


 

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