नोटबंदी के बाद एंटी करप्शन एजेंसियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मध्य प्रदेश में सीबीआई, लोकायुक्त की स्पेशल पुलिस इस्टेबलिशमेंट और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, पिछले एक दशक में छापे में जब्त पैसे को बैंकों में जमा करने के लिए इन अधिकारियों को लाइन में लगना पड़ रहा है.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने छापे के दौरान जब्त 500 और 1000 के पुराने नोटों को बैंकों में जमा करने के लिए सभी एजेंसियों को निर्देश दिया है. सीबीआई के लिए स्थिति थोड़ी कम मुश्किल है, क्योंकि एजेंसी चालू खाता संचालित करती है, जहां वो जब्त पैसे जमा कर सकते हैं. सीबीआई के पास मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा व्यापम घोटाला के आरोपी से जब्त करोड़ों की राशि है. इस राशि को 30 दिसंबर से पहले बैंक में जमा कराना होगा.
लोकायुक्त पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा के पास कोई खाता नहीं है, जहां वो जब्त की गई रकम जमा करा सकें. दोनों एजेंसियों ने राष्ट्रीयकृत बैंकों में खाते खुलवाने का निर्णय किया है. मप्र हाई कोर्ट ने इन पैसों के संबंध में ठोस निर्देश पारित कर निचली अदालतों और लोकायुक्त संगठन से कहा है कि छापे में जब्त पैसों को राष्ट्रीयकृत बैंकों में एफडी करके रखा जाए.
एफडी कराने पर इन पैसों से मिलने वाला ब्याज जब संबंधित प्रकरण पर कोर्ट का जो भी निर्णय होगा, उस हिसाब से इस्तेमाल किया जाएगा. यदि आरोपी प्रकरण में बरी हो जाता है तो यह पैसा एफडी के ब्याज सहित संबंधित को सौंप दिया जाएगा.