ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद बुधवार को बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. सिंधिया को कांग्रेस में तवज्जो नहीं मिलने के बाद बगावत की राह पकड़ी है. बीजेपी में सिंधिया की एंट्री की पटकथा उनके ससुराल पक्ष की ओर से लिखी गई है. बड़ौदा राजपरिवार की महारानी राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मध्यस्थता कराने में अहम भूमिका निभाई है. इसी के बाद सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत करने का कदम उठाया है.
ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखने और महाराज कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की ससुराल बड़ौदा राजघराने में है. ज्योतिरादित्य की पत्नी प्रियदर्शनी बड़ौदा के गायकवाड राजघराने से हैं. इस वजह से उनका वहां अक्सर आना जाना रहता है. बड़ौदा की महारानी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अत्यधिक सम्मान करते हैं और उनसे उनके अच्छे संबंध हैं.
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बड़ौदा राजघराने की महारानी राजमाता शुभांगिनी देवी गायकवाड ने सिंधिया और बीजेपी नेतृत्व के बीच बातचीत का रास्ता तैयार किया. सूत्रों की मानें तो शुभांगिनी देवी की बदौलत ही सिंधिया का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने का फैसला संभव हो सका है. वहीं, कांग्रेस में सिंधिया को खास तवज्जो नहीं मिल रही ही थी. सोनिया गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की बातों को नहीं सुना जबकि राहुल ने भी उन्हें कहा था कि आप (मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री) कमलनाथ के साथ बात कर अपने मतभेदों को सुलझाओ.
सूत्रों की मानें तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी के आगे सिंधिया बेबस नजर आ रहे थे. कमलनाथ ने भी सिंधिया को अनसुना कर दिया था, जिससे वो कांग्रेस से नाराज हो गये थे. राज्यसभा के चुनाव और एमपी सरकार के संकट के बीच रविवार को भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोनिया से मिलने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया. इसी के बाद सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी में जाने का फैसला किया.
ज्योतिरादित्या सिंधिया ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कांग्रेस छोड़ दी और उनके बुधवार को बीजेपी में शामिल होने की संभावना है. सिंधिया के इस कदम के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफे दे दिए, जिससे राज्य की कमलनाथ सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है. माना जा रहा है सिंधिया को बीजेपी राज्यसभा के जरिए केंद्र में मंत्री बनाने का फैसला कर सकती है.
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हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया 2018 से कांग्रेस से नाराज माने जा रहे थे. सिंधिया भले ही खुलकर न बोलते हों, लेकिन मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री न बन पाने के बाद से ही उनके समर्थकों के बीच इसकी कसक साफ तौर पर देखी जा सकती है. सिंधिया ने हाल ही में जिस तरह से तेवर अख्तियार किया है, उससे कमलनाथ सरकार की बेचैनी बढ़ गई थी.
राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले अब जिस तरह से सिंधिया के 22 समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दिया है, जिसके बाद कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई तय मानी जा रही है. हालांकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के दिग्गजों ने सरकार बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.