मध्य प्रदेश का होशंगाबाद अब नर्मदापुरम नाम से जाना जाएगा. साथ ही प्रख्यात पत्रकार और कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली बाबई का नाम बदलकर माखन नगर कर दिया गया है. गुरुवार को केंद्र सरकार से नाम बदलने की मंजूरी मिलने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका ऐलान कर दिया है. लेकिन इस शहर का नाम होशंगाबाद क्यों पड़ा, आइए जानते हैं.
ये है होशंगाबाद नाम पड़ने की वजह
इतिहासकार बताते हैं कि होशंगाबाद का पुराना नाम नर्मदापुर था. इतिहासकार हंसा व्यास के मुताबिक 15वीं शताब्दी में मुगल शासक होशंगशाह, मांडू होता हुआ यहां आया और उसके राज के दौरान इसका नाम होशंगाबाद पड़ा. हंसा व्यास के मुताबिक 15वीं शताब्दी से पहले होशंगाबाद को नर्मदापुर नाम से ही जाना जाता था. वहीं, जिला कार्यालय के मुताबिक होशंगाबाद का नाम सुल्तान होशंग शाह के नाम पर रखा गया था.
प्राचीन इतिहास में कोई उचित उल्लेख नहीं
मालवा के दूसरे राजा ने होशंगशाह पर विजय प्राप्त की थी तब इसका प्राचीन नाम नर्मदापुर था. होशंगाबाद जिले के प्राचीन इतिहास का कोई उचित उल्लेख नहीं है. 1405 ईस्वी में सुल्तान होशंगशाह के शासनकाल के दौरान ऐतिहासिक अभिलेखों में इसका नाम पहली बार सामने आया था. जिन्होंने होशंगाबाद में दो अन्य लोगों के साथ हंडिया और जोगा में एक छोटा किला बनाया था.
सीएम शिवराज सिंह ने क्या कहा?
सीएम शिवराज ने देर रात ट्वीट कर कहा कि पवित्र नर्मदातट पर बसे होशंगाबाद शहर को अब मध्य प्रदेश की प्राणदायिनी मां नर्मदा की जयंती के शुभ दिन से 'नर्मदापुरम' कहा जाएगा. पूर्व में ही संभाग का नाम नर्मदापुरम किया जा चुका है.
उन्होंने आगे कहा कि होशंगाबाद में स्थित बाबई के महान कवि, लेखक और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी जी की जन्मस्थली है. मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश-चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक... जैसी पंक्तियों के रचयिता के गृह नगर बाबई को हम अब माखन नगर के नाम से जानेंगे.