मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में लगी आग से कई परिवारों में मातम पसर गया. ऐसा ही एक परिवार है राशिद का. राशिद की बहन को 12 साल बाद संतान सुख मिला था लेकिन अग्निकांड में वह भी उनसे छिन गया. विडंबना देखिए कि राशिद ने उस रात आठ बच्चों को बचाया, लेकिन खुद के भांजे को नहीं बचा सके.
राशिद की बहन इरफाना की गोद भी हमीदिया अस्पताल के अग्निकांड में सूनी हो गई. इरफाना को शादी के 12 साल बाद बेटा हुआ था. पिछले हफ्ते ही इरफाना मां बनी थीं. डिलीवरी के बाद बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी जिसके चलते उसे कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने उनके बेटे को उनसे छीन लिया. अब रोती हुई इरफाना उस समय को कोस रही है.
बताया जाता है कि इरफाना के भाई राशिद ने घटना वाली रात आठ नवजात बच्चों की जान बचाई लेकिन अपनी बहन के बेटे यानी अपने भांजे राहिल को नहीं बचा सके. राशिद की बहन इरफाना ने शादी के 12 साल बाद दो नवंबर को बच्चे को जन्म दिया था. राशिद ने कहा कि अस्पताल से फोन कर बहन इरफाना ने अस्पताल के आईसीयू में आग लगने की जानकारी दी और बताया कि जिस वार्ड में बेटे को रखा है, वहीं आग लगी है. राशिद भाग कर अस्पताल पहुंचे, तो वहां अफरा-तफरी का माहौल था. हताश डॉक्टर और नर्स नवजात बच्चों को वार्ड से बाहर ले जाने के लिए दौड़ रहे थे.
उस मंजर को याद करते हुए राशिद ने कहा कि उस अफरा-तफरी में वे अपने नवजात भतीजे की तलाश करने की बजाए डॉक्टरों और नर्सों के साथ बचाव काम में लग गए. राशिद ने कहा कि मेरे मन में खयाल आया कि अगर इन मासूम बच्चों की जान बचा लूंगा तो अल्लाह मेरे भांजे को भी बचाएंगे. राशिद ने बताया कि कमरा धुएं से भरा हुआ था इसलिए जैसे-तैसे वहां से सबको निकाला लेकिन भांजे को नहीं बचा सका. राशिद को भांजे को नहीं बचा पाने का दुख तो है लेकिन इस बात का संतोष है कि उसने आठ माताओं की गोद सूनी होने से बचा ली.
विश्वास सारंग ने कार्रवाई की दी जानकारी
मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि हमीदिया हादसे की शुरुआती जांच के बाद सरकार ने गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन जितेंद्र शुक्ल, हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर लोकेंद्र दवे, कमला नेहरू अस्पताल के संचालक केके दुबे को उनके पद से हटा दिया है. सीपीए विद्युत विंग के उपयंत्री अवधेश भदौरिया को भी सरकार ने निलंबित कर दिया है.