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झारखंड की महिलाओं ने दिखाया तरसते लोगों तक पानी पहुंचाने का रास्‍ता

रांची के बेड़ो प्रखंड की महिलाओं ने पानी के लिए तरसते ग्रामीणों तक अपने बलबूते पानी पहुंचाने का संकल्प लिया है. इस इलाके में जब सरकार पानी पहुंचाने में विफल रही, तो अब इस काम का जिम्मा महिलाओं ने अपने कंधों पर उठा लिया है.

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रांची के बेड़ो प्रखंड की महिलाओं ने पानी के लिए तरसते ग्रामीणों तक अपने बलबूते पानी पहुंचाने का संकल्प लिया है. इस इलाके में जब सरकार पानी पहुंचाने में विफल रही, तो अब इस काम का जिम्मा महिलाओं ने अपने कंधों पर उठा लिया है.

स्‍थानीय महिलाओं ने 25 साल पहले मृत हो चुकी योजना को न सिर्फ शुरू किया, बल्कि इसे सफलतापूर्वक संचालित कर अब तक सैंकड़ों घरों तक पानी भी पहुंचाया. इतना ही नहीं, प्रत्येक घर से नाममात्र का शुल्क लेकर इन्‍होंने स्वयं सहायता समूह के खाते में पैसे भी जमा करवाए हैं, जिससे सामुदायिक विकास के दूसरे कार्यक्रमों को चलाया जा सके.

रांची से सटे बारीडीह इलाके की महिलाएं इस बात से काफी खुश हैं कि अब उन्हें नहाने या पीने का पानी लाने के लिए मीलों नहीं जाना पड़ता है, न ही इन्‍हें हैंड पम्पों पर लम्बी लाइन लगानी पड़ती है. इसकी वजह है साफ-सुथरा पानी, जो पाइप लाइन के जरिए उनके घर तक आ पहुंचा है.

दरअसल, साल 2011 में गठित महिलाओं की बहुलता वाले ग्राम जल स्वच्‍छता समिति ने अपने अथक प्रयासों से इस सपने को साकार किया है. समिति अब तक 345 घरों को उस पाइप लाइन से जोड़ चुकी है. कनेक्शन के लिए करीब 1000 लोगों के आवेदन अभी इंतजार में हैं.

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घरों तक पानी पहुंचने की वजह से यहां की महिलाओं को काफी सहूलियत हुई है. साथ ही समय की भी बचत हुई है. पहले पानी लाने के लिए एक घंटे से अधिक का समय लगता था.

वैसे तो यह नक्सल प्रभावित इलाका है, जिसकी वजह से सरकारी अधिकारी भी यहां जनहित की योजनाओं के प्रति उदासीन हैं. लेकिन ग्राम पंचायत ने पानी की भारी किल्लत को देखते हुए खुद इसे पूरा करने का बीड़ा उठाया. इसमें बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई है महिला हेल्प ग्रुप ने. इसका असर भी दो गावों- बेड़ो और बारीडीह में दिखने लगा है. इस गर्मी में घर-घर में पानी आ जाने से रोजमर्रा की जिंदगी सहज हो चूकी है.  

गौरतलब है कि पिछले 25 वर्षों से यहां के लोग पानी के लिए तरस रहे थे. वैसे सरकार ने बरसों पहले पानी मुहैया करने के लिए वॉटर टैंक के साथ-साथ इस इलाके में पाइप लाइन भी बिछाई थी. साथ ही पास में बहने वाली पहाड़ी नदी में बोरिंग भी करवाई थी. लेकिन कुछ समय बाद बोरिंग फेल हो गई और बकाए की वसूली नहीं होने के कारण सरकारी पेयजल विभाग ने हाथ खड़े कर दिए.

इसके बाद दो हजार की आबादी इन इलाकों में पानी की जबरदस्त किल्लत होने लगी. हालांकि सेल्फ हेल्प ग्रुप ने न सिर्फ बोरिंग कराया, बल्कि नदी में पम्प लगाकर पाइप लाइन के जरिए शुद्ध पीने का पानी यहां के 345 घरों तक पहुंचा दिया.

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ग्राम जल स्वच्‍छता समिति के उपाध्‍यक्ष धनंजय कुमार ने कहा, 'मैं इस योजना में महिलाओं के आगे आने को बहुत बड़ा अचीवमेंट मानता हूं.'

जाहिर है कि एक समय मृत पड़ी इस योजना को इन महिलाओं ने न केवल जिन्दा किया, बल्कि इसका सफलतापूर्वक संलाचन भी कर रही हैं. गौरतलब है कि झारखण्ड में पानी की किल्लत अमूमन हर जगह है. इस गर्मी में झारखंड में बहने वाले पहाड़ी नदी-नाले भी सूख चुके हैं. ऐसे में महिलाओं के इस भागीरथ प्रयास से गावंवाले बेहद खुश हैं.

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