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'मेरे बेटे से शादी कर लो, इकलौता है...', मनचले और उसके घरवालों से तंग युवती ने फांसी लगाकर दी जान

झारखंड के रामगढ़ में 25 साल की युवती सोनाली कुमारी ने अपने ही कमरे के पंखे में दुपट्टे से फंदा बनाकर फांसी लगाकर जान दे दी. युवती ने एक मनचले की हरकतों से तंग आकर ये कदम उठाया है.

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 मनचले और उसके घरवालों से तंग युवती ने फांसी लगाकर दी जान
मनचले और उसके घरवालों से तंग युवती ने फांसी लगाकर दी जान

झारखंड में रामगढ़ जिले की रांची रोड इंदिरा कॉलोनी में बुधवार की रात करीब आठ बजे एक युवती की आत्महत्या का खबर से हड़कंप मच गया. 25 साल की युवती सोनाली कुमारी ने अपने ही कमरे के पंखे में दुपट्टे से फंदा बनाकर फांसी लगाकर जान दे दी.

सोनाली के घरवालों का आरोप है कि बेटी ने सौरभ सिंह नामक युवक से तंग आकर अपनी जान दे दी है. इस मामले में थाने में लिखित शिकायत होने के बावजूद पुलिस ने हमारी मदद नहीं की थी. सोनाली के पिता विमल सिंह ने बताया कि सौरभ सिंह सोनाली को हमेशा कॉल करके परेशान किया करता था. वह ब्लैकमेल किया करता था. यहां तक कि उसके घरवाले भी सौरभ का साथ दे रहे थे. वे कहते थे कि सौरव से शादी कर लो.

 सौरभ से इस तरह के दवाब और परेशान होकर हमलोगों ने इसकी लिखित शिकायत रामगढ़ महिला थाना में की. लेकिन वहां किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. सिर्फ दोनों ओर से बॉन्ड भरवाया गया. सौरव ने बॉन्ड में लिखा था कि अब वह सोनाली को परेशान नहीं करेगा और न ही अब उसे कॉल करेगा, लेकिन सौरभ अपनी हरकत से बाज नहीं आया और बॉन्ड भरने के बाद भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ा. वह फिर से सोनाली को परेशान करने लगा.  उसने सोनाली को कहा कि पुलिस वाले भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. हम पांच दस हजार रूपये पुलिस को फेकेंगे वो कुछ नहीं करेंगे.

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विमल सिंह ने आगे कहा- मेरी बेटी काफी समझदार थी. वह पढ़ी लिखी थी. बीएड की थी. बीएसई जियोलॉजी ओनर्स था. इस समय वह सेंटेंस स्कूल में साइंस की टीचर थी. वह सोचती थी कि सौरभ को किसी तरह समझा कर मैनेज कर लेंगे लेकिन सौरभ का मन और बढ़ने लगा. वह उसे ज्यादा परेशान करने लगा. उसके घरवाले मेरी बेटी को प्रलोभन देने लगे कि मेरा बेटा इकलौता है, पैसा का कमी नहीं है, तुम इससे शादी कर लो. लेकिन मेरी बेटी ने उनलोगों को साफ तौर पर कहा था कि मैं उससे शादी नहीं करूंगी, वो एक नंबर का शराबी है.

उन्होंने बताया किदूसरी ओर महिला थाना में अनुसंधान के नाम पर बेटी को बार- बार थाने में बुलाया जाता था जबकि हाईकोर्ट से एंटीसिपेटरी बेल मिला हुआ था. हमलोग कानून की मदद कर रहे थे. जितनी बार थाना बुलाया जा रहा था, उतनी बार जा रहे थे. हमने एसपी डीएसपी सबको लिखित दिया हुआ था कि मेरी बेटी को जान का खतरा है. हम थाने में बोल चुके थे कि मेरी बेटी पंखा में लटककर जान दे देगी तब जाकर आपकी जांच पूरी होगी. आज वही हुआ. वह इतना प्रताड़ित हो गई कि उसने पंखे से लटककर अपनी जान दे दी.

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