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पुलिस की तालिबानी करतूत, प्रेमी युगल को गांव छोड़ने का दिया फरमान

पंचायतों के तालिबानी फैसलों के किस्से तो सुने होंगे आपने, लेकिन तालिबानी फैसले पर पुलिस की भी मुहर लगी हो, ऐसा देखने को कम ही मिलता है. पुलिस और पंचायत का तालिबानी फरमान जारी हुआ है हाजीपुर में, जहां पुलिस थाने में पंचायत लगी और प्रेमी युगल को गांव छोड़ने का फरमान सुनाया गया.

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Sanjay and Krishna
Sanjay and Krishna

पंचायतों के तालिबानी फैसलों के किस्से तो सुने होंगे आपने, लेकिन तालिबानी फैसले पर पुलिस की भी मुहर लगी हो, ऐसा देखने को कम ही मिलता है. पुलिस और पंचायत का तालिबानी फरमान जारी हुआ है बिहार के हाजीपुर में, जहां पुलिस थाने में पंचायत लगी और प्रेमी युगल को गांव छोड़ने का फरमान सुनाया गया.

हाजीपुर के संजय पासवान और कृष्णा ने उम्र और रिश्तों के बंधन को तोड़ प्यार का दामन थामने के लिए जमाने की परवाह नहीं की. हाजीपुर के रामभद्र के रहने वाले संजय ने पड़ोस की कृष्णा से कोर्ट मैरेज किया. शादीशुदा संजय तीन बच्चों का पिता है और कृष्णा भी शादी शुदा है. तीन बच्चों की मां कृष्णा के प्यार को संजय की पत्नी रिंकू की भी सहमति मिली, लेकिन कृष्णा के पति शिव को यह नागवार गुजरा.

मामले को थाने में ले जाते हुए शिव ने हाजीपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई. फिर क्या था पुलिस ने प्रेमी युगल संजय और कृष्णा को हिरासत में ले लिया. संजय और कृष्णा सबकी रजामंदी की दुहाई देते रहे. दोनों के इस प्रेम और शादी को संजय की पत्नी रिंकू भी स्वीकार करती है और कृष्णा और उसके बच्चे को अपने घर में साथ रखने को तैयार है.

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थाने पर पहुंचे इस अधेड़ प्यार को ना तो समाज के ठेकेदार पचा पाए और ना ही पुलिस कोर्ट मैरिज पर मुहर लगाने को तैयार थी. कृष्णा के पति शिव की शिकायत पर सक्रिय हुई पुलिस ने थाने में ही इस मामले पर पंचायत लगाई.

कानून के आंगन में पुलिस वालों के साथ रामभद्र मुहल्ले के मुखिया ने पंचायत कर संजय और कृष्णा को गांव छोड़ देने का फरमान जारी किया. पुलिस ने भी FIR के लिए दिए आवेदन को फाड़कर पंचायत का पंचनामा तैयार कर दिया. फैसले की कॉपी पर संजय और कृष्णा के साथ कई लोगों से हस्ताक्षर करवा अपनी मुहर लगा दी.

इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि दोनों ने कोर्ट में शादी की थी, लेकिन पुलिस ने कानूनी पहलुओं पर जांच और कार्रवाई के बजाए मामले को सुलझाने के लिए ऐसे तुगलकी फरमान का सहारा लिया.

हद तो तब हुई जब पंचायत के बाद पुलिस ने प्रेमी युगल को थाने की ही गाड़ी से दोनों को अनजान जगह पहुंचा दिया. पुलिस थाने में लगी पंचायत और इसके फैसले के सवाल पर पुलिसवाले कन्नी काटने लगे और जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं. 

इस पूरे मामले में पुलिस ना केवल तुगलकी पंचायत का हिस्सा बनी, बल्कि कोर्ट मैरिज जैसी कानूनी वैधता को भी नजरअंदाज करती दिखी है. व्यवस्था बनाने वाली पुलिस ही जब बर्बर कानून का हिस्सा बनने लगेगी, तो लोग न्याय के लिए कहां जाएंगे?

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