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नक्सलियों का 'फरमान': हर स्कूल से चाहिए पांच बच्चे

महिला नक्सलियों के यौन शोषण के बाद माओवादियों का एक और क्रूर चेहरा सामने आया है. जिन मासूमों के हाथों में किताबें होनी चाहिए, माओवादी उन्हें बम बनाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. कुछ समय पहले ही यह बात सामने आई थी कि नक्सली झारखंड के ग्रामीण इलाकों के हर गांव और स्कूल से पांच-पांच बच्चों की मांग कर रहे हैं.

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महिला नक्सलियों के यौन शोषण के बाद माओवादियों का एक और क्रूर चेहरा सामने आया है. जिन मासूमों के हाथों में किताबें होनी चाहिए, माओवादी उन्हें बम बनाने और हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. कुछ समय पहले ही यह बात सामने आई थी कि नक्सली झारखंड के ग्रामीण इलाकों के हर गांव और स्कूल से पांच-पांच बच्चों की मांग कर रहे हैं.

वैसे पुलिस की तफ्तीश इस बात की तस्दीक करती है कि कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रहे माओवादी अब 10 से 16 साल के बच्चों का अपहरण कर उन्हें बम बनाने और इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं. घोर नक्सलग्रस्त लातेहार में अब इसका प्रमाण भी सामने आ गया है. दरअसल बीते मंगलवार को माओवादियों के कैंप में विस्फोटकों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग ले रहे 10 साल के एक बच्चे की ब्लास्ट की वजह से मौत हो गई थी.

पुलिस के मुताबिक मंगलवार को ब्लास्ट में मारा गया परदेसी लोहरा उन सात-आठ बच्चों में से एक था, जिन्हें कुछ दिन पहले सीपीआई (माओवादी) के कार्यकर्ता लातेहार के हेरहंज थाना के बंदुआ गांव से उठाकर लाए थे. बाकी बच्चे अभी भी माओवादियों के कब्जे में हैं.

पुलिसिया रिपोर्ट के मुताबिक नक्सली लातेहार के हेरगंज थाना क्षेत्र से आठ बच्चों को साथ ले गए थे. माओवादी कैम्प में विस्फोटक के इस्तेमाल की ट्रेनिंग लेते समय इनमे से एक बच्चे की मौत हो गयी. दस साल का ये लड़का परदेशी लोहरा था जो बन्दुआ गांव का रहने वाला था. लोहरा की मौत के बाद उसके शव को नक्सलियों ने बीते बुधवार को परिजनों को सौप दिया.

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नक्सलियों के निर्देश के मुताबिक परिजनों ने भी चुपचाप बच्चे को दफना दिया. इसी बीच किसी ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी और पुलिस गांव पहुंची. जिसके बाद पुलिस ने शव को कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा.

लातेहार के एसपी माइकल एस राज के मुताबिक सात बच्चे अभी भी नक्सलियों के कब्जे में हैं. गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था की नक्सली अपनी घटती ताकत से परेशान हैं. नक्सलियों की योजना है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को संगठन में जोड़ा जाए. वैसे बच्चों को संगठन में जोड़ने की ये कोई नई बात नहीं है.

इसके पहले भी लोहरदग्गा से पांच बच्चे उठाये गए थे. बताया जाता है की चतरा जिले में भी नक्सलियों ने परचा चिपका कर ये फरमान जारी किया था कि स्कूल के 30 बच्चे संगठन को दिए जाएं. वैसे हकीकत ये है कि सुरक्षा बालों की दबिश, नक्सली नेताओं की गिरफ्तारी और माओवाद से गांव वालों के मोहभंग से नक्सली चिंतित हैं और यही वजह है कि कैडर विस्तार के लिए इन्होंने जो योजना बनाई है उसमें ग्रामीण इलाकों के बच्चे इनके निशाने पर हैं.

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